पटना 19 सितंबर। "पटना के साहित्यकारके बैनर तले  कवि  रवींद्र के दास का काव्य  पाठ आयोजित किया गया. छज्जुबाग में आयोजित इस काव्य पाठ में पटना सहित दूसरे शहरों के कवि, साहित्यकार शामिल हुए।

कार्यक्रम के प्रथम सत्र में कवि ने कविताओं का पाठ किया. दूसरे सत्र में कवि ने श्रोताओं के सवालों के जबाब दिए. रवींद्र के दास ने अपने संबोधन में कहा "निश्चित रूप से साहित्य में किसी दल के पक्ष अथवा विपक्ष में बात नहीं की जानी चाहिए. लेकिन हम विचारधारा की बात करते हैं. हम किसी दलगत राजनीति की नहीं विचारधारा के पक्ष अथवा विपक्ष में अपनी बातें रखते हैं.अगर हम किसी विचारधारा का समर्थन या विरोध करें ही नहीं तो फिर साहित्यकर्म का मतलब ही क्या है।"

 

 रवींद्र दास ने  अपनी कविताएं सुनाईं 

"वे राजाओं के युद्ध को 

राज-क्रीडा की भांति 

बड़ी रूचि और उत्सुकता से देखते हैं 

हाटों चौबारों में एक ही चर्चा रहती है 

मगध तो मगध ही रहेगा 

और हम भी रहेंगे मागध ही 

राजा कोई बने, हमें क्या !

हारेगा तो राजा, जीतेगा तो राजा ही"

 

अपनी एक अन्य कविता में  रावीन्द्र दास कहते हैं।

"जब मैं घर कहता हूँ 

तब तुम वही समझते हो, जो मैं कहता हूँ 

वह देर रात तक सड़क किनारे की पुलिया पर बैठा रहा 

उसे घर जाने से बचना था कुछ देर 

लेकिन बचने की यह कोशिश 

घर छोड़ने की कोशिश नहीं थी 

और यह पुलिया 'हाँ और न' के बीच की कोई खाली जगह थी 

उसे मैंने देखा 

वह मुस्कुराया आश्वस्त सा 

किसी सूरत वह बेघर नहीं था"

….

अंत में पटना के युवा कवि युवराज ने भी अपनी कविता का पाठ किया. कार्यक्रम में राजेश कमल, संतोष सहर, संतोष झा,  अरुण शीतांश, नरेंद्र कुमार, प्रत्युष चंद्र मिश्रा, कृष्ण सम्मिद्ध, अरुण नारायण, प्रमोद कुमार सिंह, संतोष आर्या, सुमन, सुशील कुमार भारद्वाज, हेमंत हिम सहित  दर्जनों लोगों की उपस्थिति रही।