लखनऊः डॉ सत्यप्रकाश शर्मा के सद्यः प्रकाशित उपन्यास 'तपस्वनी' का लोकार्पण मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद उत्तर प्रदेश विधान सभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित द्वारा संपन्न हुआ. यह उपन्यास गोस्वामी तुलसीदास की धर्म पत्नी रत्नावली के जीवन पर आधारित है. कार्यक्रम में ऋग्वेद की ऋचाओं का उल्लेख करते हुए दीक्षित ने कहा कि साहित्यकार को ऋग्वेद के ऋषियों की तरह समाज को दिशा देनी चाहिए. अपने चरितात्मक उपन्यास 'तपस्वनी' का उल्लेख करते हुए लेखक डॉ सत्यप्रकाश शर्मा ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास के जीवन पर आधारित उपन्यासों में उनकी पत्नी रत्नावली को एक सामान्य नारी मात्र दर्शाया गया है, जबकि ऐसा नहीं था. समारोह की अध्यक्षता सिद्धार्थ यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर सुरेंद्र दुबे ने की. लोकार्पण कार्यक्रम में प्रदेश की राजधानी में मौजूद साहित्यप्रेमियों, शिक्षाविदों, संस्कृति प्रेमियों, साहित्यकारों के अलावा कई विधायकों और राजनेताओं ने भी शिरकत की, जिनमें भाजपा के प्रदेश सहप्रभारी रामेश्वर चौरसिया, लखनऊ विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग प्रमुख प्रो. राजकुमार सिंह, प्रो योगेन्द्र प्रताप सिंह आदि मौजूद थे.
इस अवसर पर उपन्यास की कथावस्तु पर प्रकाश डालते हुए बुद्ध शोध संस्थान के उपाध्यक्ष हरगोविन्द कुशवाहा ने कहा कि मुरलीधर चतुर्वेदी के पदों से प्रभावित होकर डॉ सत्यप्रकाश शर्मा ने गोस्वामी तुलसीदास की उपेक्षित रही धर्म पत्नी रत्नावली के जीवन में उन घटनाक्रम को जिन में उन्होंने डाट लगाकर हुलसी को तुलसी बनाया का जिक्र किया है. दरअसल 11 वर्ष के वैवाहिक जीवन में वह समझ गई थीं कि इनका कार्य क्या है. इसीलिए प्रभु प्रेरणा से उस राह पर चलने के लिए कटु वाक्य का प्रयोग किया. रत्नावली पूरे जीवन 74 वर्ष की आयु तक तपस्वनी और समाजसेविका के रूप में रहीं. उपन्यास में बड़े ही सरल शब्दों में इस गाथा को रूपायित करते हुए लेखक ने रामचरित मानस के पूर्ण होने पर इस महान कृति के रत्नावली को गोस्वामी तुलसीदास द्वारा भेट करने का उल्लेख किया है. कार्यक्रम में आभार ज्ञापन झांसी के विधायक तथा रचनाकार के पुत्र रवि शर्मा ने प्रकट किया.