अमृतसरः वनमाला भवालकर का नाम मध्य प्रदेश के साहित्य जगत में काफी चर्चित है और उनकी साहित्यिक कृतियों पर बात होती ही रहती है. पर हिंदी में लिखी उनकी रचना 'उधार का पति' न केवल पंजाबी में अनूदित हुई, बल्कि उस पर आधारित नाटक ने खासा धमाल मचा रखा है. पंजाब नाटशाला में 'रंगकर्मी मंच' ने भवालकर की रचना पर आधारित पंजाबी नाटक 'उधारा पति' का मंचन किया और दर्शकों को अपनी पारिवारिकहद में रहने की सीख दे गया. बेहद ही हल्के-फुल्के अंदाज में पेश किए गए इस नाटक ने वर्तमान में लोगों में बढ़ रहे लालच और भौतिक वस्तुओं के तरफ बढ़ते आकर्षण को बखूबी ढंग से पेश किया. प्रसिद्ध नाटककार डॉ. लक्खा लहरी द्वारा रूपांतरित यह नाटक मंचप्रीत के निर्देशन में एक ऐसी लड़की के इर्द-गिर्द बुना गया है, जो अपने दादा की मर्जी के खिलाफ शादी कर लेती है.
वह अपने मायके वालों को बताती है कि उसकी ससुरालवाले व पति बेहद अमीर हैं. ऐसे में एक दिन जब लड़की के दादा उसकी ससुराल वाले घर आने की बात करते हैं, तब खेल शुरू होता है. ससुराल का रुतबा बढ़ा-चढ़ा कर पेश करने और अपने को सच साबित करने के लिए लड़की को अपने घर पर आस-पड़ोस से सामान मंगवाना पड़ता है. ऐसे में रसोइया नहीं मिला तो पति को ही कुछ वक्त के लिए रसोइया बना दिया।. जब उसके दादा ने उसके पति से मिलने की इच्छा जताई तो पड़ोस के लड़के को पेश कर दिया. हालांकि नाटक के आखिर में पोल खुल गई और लड़की काफी लज्जित हुई. पंजाब नाटशाला के संस्थापक जतिंदर बराड़ ने नाटक की पेशकारी को सराहा और कहा कि हमें इससे सीख लेनी चाहिए और अपनी हद को पार नहीं करना चाहिए. नाटक में ट्विंकल लूथरा, सुखदीप सिंह, गगन रंधावा, कंवलप्रीत, कमलजीत बिष्ट, दीक्षा टाक, साफिल, नवदीप सिंह, सिमरनजीत कौर, मनप्रीत कौर, किरण कल्याण और विशाल कुमार ने दमदार भूमिका निभाई.