नई दिल्ली: भारत को अंग्रेजी व इंडिया की गुलामी से मुक्त कराने के लिए भारतीय भाषा आंदोलन द्वारा जंतर मंतर पर चल रहा सत्याग्रह के 75 वें माह में प्रवेश कर गया. इस अवसर पर प्रधानमंत्री को भेजे गए ज्ञापन में भारतीय भाषा आंदोलन ने उन्हें स्मरण कराया कि जहां पूरा विश्व आपकी ऐतिहासिक पहल पर भारतीय संस्कृति की आत्मा समझे जाने वाले योग को आत्मसात करके विश्व योग दिवस मना रहा है, वहीं दूसरी तरफ भारतीय भाषा आंदोलन संसद की चौखट 'राष्ट्रीय धरना स्थल' जंतर मंतर पर अंग्रेजों की भाषा अंग्रेजी व इंडिया नाम की गुलामी से मुक्ति के लिए ऐतिहासिक सत्याग्रह छेड़े हुए है. जिस प्रकार जीवन को स्वस्थ रखने के लिए योग श्रेष्ठ साधन है. उसी प्रकार राष्ट्र को विकसित, जीवंत व मजबूत बनाने के लिए राष्ट्र की भाषायें प्राण होती हैं. इसीलिए राष्ट्र को राष्ट्र की भाषाओं में संचालित करना ही राष्ट्रीय महायोग होता है. आश्चर्य है कि अंग्रेजों के जाने के बाद देश के हुक्मरानों आज 72 साल बाद भी भारतीय भाषाओं को जानबूझ कर जमींदोज करके राष्ट्र को कमजोर व गुलाम बनाये रखने का कृत्य किया गया. बेशर्मी से देश की सरकारों करके राष्ट्र को कमजोर करने का कृत्य किया
भारतीय भाषा आंदोलन ने हिंदी के दबदबे की आड़ में भारतीय भाषाओं का विरोध करने के षड़यंत्र को विफल करने के लिए सरकार से निम्नलिखित कदम उठाने की मांग दोहराई, जिसमें – संघ लोकसेवा आयोग सहित देश और सभी प्रदेशों में रोजगार की सभी परीक्षाओं से अंग्रेजी की अनिवार्यता हटाकर केवल भारतीय भाषाओं को वरीयता, सर्वोच्च व उच्च न्यायालयों में अंग्रेजी के बजाय भारतीय भाषाओं में न्याय, प्राथमिक से माध्यमिक शिक्षा केवल दो भाषाओं में प्रदान करने, नौनिहालों को मातृभाषा यानी प्रांतीय भाषा व भारतीय भाषाओं में शिक्षा, अंग्रेजी व विदेशी भाषाओं के साथ प्राचीन भारतीय भाषाओं को ऐच्छिक विषय में रखने व शासन-प्रशासन भी केवल भारतीय भाषाओं में संचालित करने की मांग रखी. इस आवेदन पर समर्थन करने वालों में भारतीय भाषा आंदोलन के अध्यक्ष देवसिंह रावत, सुनील कुमार सिंह, रामजी शुक्ला, खुशहाल सिंह बिष्ट, अनिल कुमार पन्त, मनु कुमार, धीरेन्द्र प्रताप, हरिपाल रावत, वीरेन्द्र नाथ वाजपेयी, मनमोहन शाह, नरेश मानव, गोपाल झा ,लक्ष्मण आर्य, मोहन जोशी, पंकज पेन्युली, प्रताप थलवाल, ब्रह्मानंद डालाकोटी, हरिराम तिवारी, करुणा भट्ट, आशा भराड़ा, संजय कुमार सिंह, संजय सिंह, पदम सिंह बिष्ट, आजाद तोमर, बृजेश कुमार वर्मा, दर्शन सिंह रावत, नारायण सिंह गुसाईं, पारसनाथ, सूर्यपाल सिंह, सुखदेव पाल सिंह, कामनी झा, ओम तत्सत बाबा, मेजर ठाकुर, सुश्री प्रजापति, मोहित कुमार व मृत्युंजय आदि प्रमुख थे.