भोपालः 'यह सब चलता है, क्या फर्क पड़ता है' की नकारात्मक सोच हर कहीं, हर क्षेत्र में मौजूद है, जो लापरवाही, अदूरदर्शिता, गैर जिम्मेदाराना व्यवहार और असंवेदनशीलता को दर्शाती है. जब हमसे अपने कर्तव्य की पूर्ति नहीं होती, कोई अच्छा कर्म नहीं होता और कोई गलत काम होता है तो भी हम तुरंत कह देते हैं कि अरे, यह तो चलता है जो कि एक बहुत गलत दृष्टिकोण है.' इसी सोच पर प्रहार करते हुए स्थानीय आरंभ चैरिटेबल फाउंडेशन ने संस्कृति विभाग भोपाल के स्वराज संचालनालय में 'अहा! सब चलता है' नाम से व्यंग्य सत्र का आयोजन किया जिसमें कई व्यंग्य साहित्यकारों ने हिस्सा लिया. कार्यक्रम की अध्यक्षता घनश्याम सक्सेना ने की. मुख्य अतिथि प्रसिद्ध व्यंग्यकार डॉ हरि जोशी और विशिष्ट अतिथि के तौर पर साधना बलबटे उपस्थित थीं. इस कार्यक्रम में व्यंग्यकारों ने समाज के कई समसामयिक गंभीर मुद्दे, विसंगतियों, विद्रूपताओं, पाखंड, अन्याय, शोषण, अत्याचार, लापरवाही, अफसरशाही पर व्यंगात्मक शैली में लिखे अपने व्यंग्य की चर्चा की और निष्कर्ष दिया कि 'सब नहीं चलता है और न ही चलना चाहिए.' हमें इस गलत रवैए को बदलने की जरूरत है. वही चलना चाहिए जो सटीक है, सत्य है और उचित है. जो समाज को सकारात्मक दिशा में ले जाए और जिससे मानवीय मूल्यों की स्थापना हो.
शोभा ठाकुर ने अपने व्यंग्य में सड़कों पर जिस तरह मवेशी चलते हैं, उस पर जोरदार कटाक्ष किया. आरंभ फाउंडेशन की अध्यक्ष अनुपमा अनुश्री ने अपनी व्यंग्य रचना से बढ़ते दुष्कर्म, घटते नैतिक मूल्य, छद्म आधुनिकता, मोबाइल संस्कृति, जिम्मेदारों के खाने के दांत और दिखाने के और सहित कई विसंगतियों पर प्रहार किया और कहा, "ये मानवेतर, जानवर से बदतर दुष्कर्मी घूमते हैं छाती चौड़ी कर, जैसे जानते हैं, कि भारत है यहां कौन डरता है. यहां तो सब चलता है. सब दुष्कर्मी हैवान, बेखौफ, बेधड़क, खुली हवा में झूम रहे हैं और इन्हें दंड देने वाली फाइलें न्यायालयों में घूम रही हैं." डॉ मीनू पांडे ने बिकते सम्मान पर कटाक्ष करते हुए अपनी क्षणिका में कहा अजब का शौक रखते हैं इस बस्ती के लोग सम्मान की खरीद- फरोख्त. पहले खरीदो फिर बेचो. तेरा भी फायदा, मेरा भी फायदा. फिर क्या कायदा! सब चलता है! मनोज देशमुख ने सामाजिक दोगलेपन पर और बिंदु त्रिपाठी ने ट्रैफिक पुलिस, इधर उधर थूकना, पानी की बर्बादी, मीटू, गैर कानूनी कार्य पर कटाक्ष किया. डॉ अरविंद जैन ने हॉस्पिटल आला दर्ज़े के लूट के केंद्र बन गए हैं, तो शेफालिका ने अपने व्यंग्य में इंसान की जगह कुत्ते की इज्जत व देखभाल पर बढ़िया तंज कसा. श्यामा गुप्ता ने आज की राजनीति पर कुर्सी की कहानी पर तंज करके गुदगुदाया. इस कार्यक्रम में घनश्याम सक्सेना, स्मृति कानूगो, अशोक व्यास, मधुलिका सक्सेना, राजकुमारी चौकसे, अर्चना मुखर्जी सहित बड़ी संख्या में व्यंग्यकार व व्यंग्यप्रेमी उपस्थित थे.
शोभा ठाकुर ने अपने व्यंग्य में सड़कों पर जिस तरह मवेशी चलते हैं, उस पर जोरदार कटाक्ष किया. आरंभ फाउंडेशन की अध्यक्ष अनुपमा अनुश्री ने अपनी व्यंग्य रचना से बढ़ते दुष्कर्म, घटते नैतिक मूल्य, छद्म आधुनिकता, मोबाइल संस्कृति, जिम्मेदारों के खाने के दांत और दिखाने के और सहित कई विसंगतियों पर प्रहार किया और कहा, "ये मानवेतर, जानवर से बदतर दुष्कर्मी घूमते हैं छाती चौड़ी कर, जैसे जानते हैं, कि भारत है यहां कौन डरता है. यहां तो सब चलता है. सब दुष्कर्मी हैवान, बेखौफ, बेधड़क, खुली हवा में झूम रहे हैं और इन्हें दंड देने वाली फाइलें न्यायालयों में घूम रही हैं." डॉ मीनू पांडे ने बिकते सम्मान पर कटाक्ष करते हुए अपनी क्षणिका में कहा अजब का शौक रखते हैं इस बस्ती के लोग सम्मान की खरीद- फरोख्त. पहले खरीदो फिर बेचो. तेरा भी फायदा, मेरा भी फायदा. फिर क्या कायदा! सब चलता है! मनोज देशमुख ने सामाजिक दोगलेपन पर और बिंदु त्रिपाठी ने ट्रैफिक पुलिस, इधर उधर थूकना, पानी की बर्बादी, मीटू, गैर कानूनी कार्य पर कटाक्ष किया. डॉ अरविंद जैन ने हॉस्पिटल आला दर्ज़े के लूट के केंद्र बन गए हैं, तो शेफालिका ने अपने व्यंग्य में इंसान की जगह कुत्ते की इज्जत व देखभाल पर बढ़िया तंज कसा. श्यामा गुप्ता ने आज की राजनीति पर कुर्सी की कहानी पर तंज करके गुदगुदाया. इस कार्यक्रम में घनश्याम सक्सेना, स्मृति कानूगो, अशोक व्यास, मधुलिका सक्सेना, राजकुमारी चौकसे, अर्चना मुखर्जी सहित बड़ी संख्या में व्यंग्यकार व व्यंग्यप्रेमी उपस्थित थे.
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