नई दिल्लीः आजादी के अमृत महोत्सव को समर्पित साहित्य अकादेमी के वार्षिक आयोजन 'साहित्योत्सव 2022' की शुरुआत युवाओं को समर्पित रही. अकादेमी के वार्षिक कार्यों की प्रदर्शनी के उद्घाटन की औपचारिकता के बाद पहला कार्यक्रम 'युवा भारत का उदय' शीर्षक से अखिल भारतीय युवा लेखक सम्मिलन था. इसका उद्घाटन वक्तव्य साहित्य अकादेमी की सामान्य परिषद के सदस्य येशे दरजे थोंगछी ने दिया. उन्होंने कहा कि सूचना क्रांति ने युवा लेखकों के लिए अभिव्यक्ति के अवसर बढ़ाए हैं अतः वे अंतःप्रेरणा का अनुसरण करें. इस कार्यक्रम में अकादेमी द्वारा मान्यता प्राप्त 24 भारतीय भाषाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले 26 युवा लेखकों ने भाग लिया. प्रख्यात विद्वान, श्रीराम परिहार, पारमिता शतपथी, मृत्युंजय सिंह तथा सुरेश ऋतुपर्ण ने इस सम्मिलन के विभिन्न सत्रों की अध्यक्षता की.
इसी दिन भारतीय भाषाओं में प्रकाशन की स्थिति विषय पर परिचर्चा भी आयोजित हुई. इस सत्र के विशिष्ट अतिथि प्रख्यात मराठी लेखक रंगनाथ पठारे थे. विभिन्न भारतीय भाषाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले 6 प्रख्यात प्रकाशकों तथा लेखकों चंदना दत्ता, दर्शन दर्शी, हेमंत दिवटे, प्रभात कुमार, रमेश कुमार मित्तल तथा याकूब इस पैनल चर्चा में भाग लिया. उर्दू कवि शीन काफ निजाम पैनल चर्चा का संयोजन किया. इस सत्र में स्वागत भाषण में साहित्य अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने कहा कि प्रकाशन व्यवसाय में कई बड़े परिवर्तन हुए हैं लेकिन इसके चलते लेखक, पाठक और प्रकाशकों के रिश्ते प्रभावित नहीं होने चाहिए. तीनों पक्षों की पारदर्शिता से ही सुखद परिणाम प्राप्त होंगे. प्रख्यात मराठी लेखक रंगनाथ पठारे ने कहा कि वर्तमान में लेखक और प्रकाशक का रिश्ता चिंताजनक है. इसके लिए उन्होंने लेखकों, पाठकों का अंग्रेज़ी के प्रति मोह और भारतीय भाषाओं के प्रति उनकी उपेक्षा को दोषी ठहराया. साथ ही तकनीकी  बदलाव और उसकी सहजता से बदले परिदृश्य में आशा व्यक्त की कि हालत सुधर सकते हैं. अन्य सभी प्रतिभागियों ने वर्तमान प्रकाशन स्थिति के लिए लेखक एवं प्रकाशकों दोनों को दोषी मानते हुए नई टेक्नोलॉजी के आधार पर उसमें सुधार की आशा व्यक्त की.