वाराणसीः यह ऑनलाइन कार्यक्रमों का दौर है, इसलिए नवें सावित्री त्रिपाठी स्मृति सम्मान का आयोजन भी ऑनलाइन ही हुआ. इस साल यह सम्मान युवा कवि राकेश रंजन को मिला. इस आशय की घोषणा सावित्री त्रिपाठी न्यास के सचिव पीयूष त्रिपाठी ने की. सम्मान के निर्णयक समिति के सदस्यों प्रो काशीनाथ सिंह, प्रो बलराज पांडेय और प्रो आशीष त्रिपाठी थे. इन सबने सर्वसम्मति से राकेश रंजन का चयन किया. इस अवसर पर राकेश रंजन की कविताओं पर केन्द्रित वक्तव्य मानवेन्द्र प्रताप सिंह, डॉ विशाल विक्रम सिंह और डॉ सिद्धार्थ राय ने दिया. सम्मानित कवि डॉ राकेश रंजन ने भी वक्तव्य देने के साथ ही कविता पाठ किया. इस सम्मान से एकांत श्रीवास्तव, चौथी राम यादव, देवेंद्र, दिनेश कुशवाह, अवधेश प्रधान, अनुज लुगुन, संजय सिन्हा और अब्दुल बिस्मिल्लाह को विभूषित किया जा चुका है.
10 दिसंबर, 1973 को हाजीपुर में जन्मे राकेश रंजन ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से हिंदी में स्नातकोत्तर किया और मुजफ्फरपुर के बी.आर.ए. बिहार विश्वविद्यालय से 'नंदकिशोर नवल की आलोचना-दृष्टि का विकास: एक अध्ययन' विषय पर पी-एच.डी. करने के बाद उसी कॉलेज के हिंदी विभाग में सहायक प्राध्यापक हैं. कवि राकेश रंजन के तीन कविता-संग्रह 'अभी-अभी जनमा है कवि', 'चाँद में अटकी पतंग' एवं 'दिव्य कैदखाने में' प्रकाशित है. एक उपन्यास 'मल्लू मठफोड़वा' और एक आलोचना पुस्तक 'रचना और रचनाकार' प्रकाशित हैं. उन्हें विद्यापति पुरस्कार, हेमंत स्मृति कविता सम्मान, अनूपलाल मंडल सम्मान मिल चुके हैं.