'मेरी काशी' पुस्तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बनारस से सांसद होने के बाद उनके निर्देशन में हुए काशी के विकास की गाथा है. पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के अवसर पर बनारस के चार लाख से अधिक परिवारों तक इस पुस्तक को प्रधानमंत्री मोदी के पत्र के साथ पहुंचाने की कोशिश की जा रही है. 'मेरी काशी, विकास के पथ पर…' पुस्तक में वाकई वह सब कुछ है, जो बताता है कि मां गंगा के बुलावे पर बनारस संसदीय क्षेत्र में पहुंचने और वहां से जीतने के बाद काशी ही नहीं, बल्कि उसके आसपास के जिलों को क्या मिला. पुस्तक काफी महंगे कागज पर छपी है और बेहद चित्रात्मक व आकर्षक है. डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र, डॉ. श्रद्धानंद और पत्रकार से नेता बने धर्मेंद्र सिंह के संपादक मंडल ने बड़ी बारीकी और श्रमसाध्य ढंग से विषय और चित्रों का चयन किया है. पुस्तक में कशी की धरती के तमाम प्रभावशाली शख्सियतों के वक्तव्यों के बीच गिरिजादेवी, छन्नूलाल मिश्र, मालिनी अवस्थी और विकास महाराज जैसे कलाकारों का वक्तव्य देकर इसे केवल प्रचार-पुस्तक से इतर स्वरूप दिया गया है. 'काशी की ड्योढ़ी पर मोदी का प्रणाम' से शुरू कर 'स्मार्ट काशी का सपना जल्दी ही हकीकत बनकर लोगों के सामने होगा' की आखिरी पंक्ति तक पुस्तक के 28 खंडों में हर क्षेत्र में विकास के हुए कामों को उजागर करने की कोशिश की गई है. चित्र अनुज, राजेश व रजनीश के हैं और डिजाइन गणपति का.

 

इस पुस्तक के साथ काशीवासियों के नाम प्रधानंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश भी घर-घर पहुंचाया जा रहा है. संदेश के शब्द हैंः "आप सभी काशीवासियों को मेरा सादर अभिनंदन. चार वर्ष पूर्व आपका प्रेम, विश्वास और मां गंगा का आदेश मुझे इस नगरी तक ले आया. इन वर्षों में मुझे आपका अभूतपूर्व समर्थन, साथ और आशीर्वाद मिला. यह हमारे सामूहिक प्रयासों का ही नतीजा है कि काशी में विकास की नई गाथा लिखी जा रही है. काशी की प्राचीनता को अक्षुण्य रखते हुए उसे नवीनता से जोड़ा जा रहा है. आज काशी में परंपरा और परिवर्तन साथ-साथ चल रहे हैं. काशी का संगीत, काशी के घाट, पौराणिक स्थल, अखाड़े, कुटीर उद्योग, बुनकरों का संरक्षण और विकास मेरी प्राथमिकता रही है. काशी की भव्यता और और इन चार वर्षों की विकास यात्रा को शब्दों और चित्रों के माध्यम से 'मेरी काशी' पुस्तक में प्रस्तुत किया गया है. काशी के विकास में आप सभी काशीवासियों का अमूल्य योगदान रहा है और मुझे विश्वास है आपका सहयोग आगे भी अनवरत मिलता रहेगा. काशी और काशीवासियों का गौरवगान संपूर्ण विश्व में गूंजता रहे, यही आकांक्षा रखता हूं. ईश्वर और मां गंगा से प्रार्थना करता हूं कि मैं काशी और संपूर्ण राष्ट्र की सेवा में समर्पित रहूं.