मुजफ्फरपुरः बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर बिहार विवि के हिंदी विभाग, विवेकानंद अध्ययन मंडल और रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम के संयुक्त तत्वावधान में लेखक से संवाद कार्यक्रम सह राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ. 'हिंदी उपन्यास में लोक संस्कृति विषय' पर वरिष्ठ कथाकरा भगवानदास मोरवाल से डॉ सुंदेश्वरदास ने संवाद किया. मोरवाल का कहना था कि उपन्यास के पात्र एवं उनका तथ्य लोकजीवन से ही आते हैं. गांव के परिवेश में चलते-पलते पात्र अपने जीवन के प्रत्येक क्षण एवं कदम पर एक आदर्श वस्तुपरक जीवन का दर्पण जैसा प्रस्तुत करते हैं. इसी सत्र में प्रोफेसर सत्यकाम ने प्रोफेसर सतीश कुमार राय के एक सवाल के जवाब में कहा कि उपन्यास विधा पश्चिम या बाहर से आयातित नहीं है. इसमें पात्र अपने परिवेश को जीता है और इतिहास का निर्माण करता है. प्रो. रेवती रमण, डॉ संजय पंकज ने भी अपने विचार संवाद की शैली में रखे. संचालन प्रो श्रीनारायण सिंह एवं डॉ. त्रिविक्रम नारायण सिंह ने किया.
दो दिन के इस साहित्यिक कार्यक्रम में बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर बिहार विवि के कुलपति प्रो अमरेंद्र नारायण यादव, डॉ. पूनम सिन्हा, डॉ. भगवानलाल साहनी, पद्मश्री से सम्मानित लेखिका ऊषा किरण खान, प्रो. रामधारी सिंह दिवाकर,  डॉ. हरिनारायण ठाकुर, डॉ. रामनरेश पंडित, डॉ. सुंदेश्वर दास, डॉ. तारकेश्वर पंडित, डॉ. सुनीता गुप्ता समेत पटना विवि के शोध स्टूडेंट्स शामिल हुए. तकनीकी सत्र में 30 विषयों पर वक्ताओं ने अपने विचार रखे. इस कार्यक्रम से गदगद लेखक भगवानदास मोरवाल ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा कि हाल में मुजफ्फरपुर, बिहार के दो दिवसीय साहित्यिक प्रवास का सबसे सुखद और प्रेरणादायक सत्र  रहा. यहाँ के रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम के आध्यात्मिक हाल में आयोजित लेखक से संवाद, भीमराव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा आयोजित और सेवाश्रम की यह पहल इस मायने में महत्त्वपूर्ण थी कि इसे एक सेवाश्रम द्वारा अपने प्रांगण में आयोजित किया गया था. विवेकानंद अध्ययन मंडल और सेवाश्रम के सचिव स्वामी भावात्मानंद की प्रगतिशील सोच, उत्साह और साहित्यिक अनुराग का इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि जब एक लेखक के रूप में मुझसे संवाद चल रहा था और मैं मेवात के सामाजिक-सांस्कृतिक पक्ष पर अपनी बात रख रहा था, तभी संचालक ने यह कहते हुए हस्तक्षेप किया कि समय के अभाव के चलते संवाद यहीं समाप्त किया जाता है. इस पर तुरन्त स्वामी जी ने कहा कि 'इसे चलने दिया जाए. बातचीत काफ़ी रोचक हो रही है.' ऐसे आयोजन होते रहने चाहिए.