भोपालः गजानन माधव मुक्तिबोध अब भी अपने स्मृति समारोह में याद किए जाते हैं, पर उनकी खबरें नहीं बनतीं. मुक्तिबोध बहुत अभाव में जीते थे.अगर कोई भी व्यक्ति मुक्तिबोध के जीवन का आधा भी कष्ट सहता तो इतने दिन जीवित नहीं रहता. आज की कविता में वह बात नज़र नहीं आती है. मुक्तिबोध कहते हैं पीड़ा मात्र एक सत्य है. कवि, आलोचक पंकज चतुर्वेदी ने भोपाल के राज्य संग्रहालय में मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी की ओर से आयोजित गजानन माधव मुक्तिबोध स्मृति समारोह में यह बातें कहीं. कार्यक्रम में मुक्तिबोध की कविता और समकालीन भारतीय वास्तविकता विषय पर पंकज चतुर्वेदी ने कहा, मुक्तिबोध कहते हैं पीड़ा मात्र एक सत्य है, सांसारिक प्रतिमान से देखेंगे तो मुक्तिबोध में कविता को लेकर एक दीवानगी है, मुक्तिबोध के त्याग की उत्कंठा महात्मा गांधी की याद दिलाती है.
चतुर्वेदी का कहना था कि मुक्तिबोध का गांधी से कहीं न कहीं कोई गहरा रिश्ता है. उनकी कविता अंधेरे में एक स्थान पर गांधी आते हैं. पर उनकी कविता कहीं पहुंची नहीं. व्यापक समाज के बीच कविता को पहुंचाना है. वरना समाज से उसकी दूरी बनी रहेगी. निराला और ग़ालिब की अभिव्यक्ति जैसी इनकी भी है. कार्यक्रम में अकादमी के निदेशक नवल शुक्ल सहित सुधीर रंजन सिंह मौजूद रहे. इस अवसर पर रवींद्र स्वप्निल प्रजापति ने अपनी कविताएं स्वेटर किताबें और मौसम की पंक्तियां सुनाईं. जिसमें पढ़ा कि ये मौसम समय के अक्षरों से लिखी किताब की तरह है, जिसे समेट कर पढ़ने की कोशिश कर रहा हूं, तुम भी पढ़ो मेरे साथ इस हरियाली में बहुत कुछ लिखा है, तुम्हारे कदमों के चिन्ह कविता ही तो हैं. कार्यक्रम में शाहनाज इमरानी, मानस भारद्वाज और अनिल करमेले ने तस्वीर, टेलिग्राम, बाकी बचे कुछ लोग और कविता की शक्ल जैसी कविताओं का पाठ हुआ. कार्यक्रम में बड़ी संख्या में साहित्यप्रेमी व मुक्तिबोध को पढ़ने वाले मौजूद थे.