द्वितीय सत्र में मीरा फाउंडेशन की ओर से साहित्यकारों को सम्मानित किया गया. सम्मानित होने वाले साहित्यकार थे, खगेंद्र ठाकुर, डा. कुसुम खेमानी, मैत्रेयी पुष्पा, अजीत पुष्कल और संस्कृत विद्वान प्रो. मानसिंह. सभी को अंगवस्त्रम, नारियल और प्रशस्ति-पत्र प्रदान कर संस्थापक सतीश अग्रवाल ने सम्मानित किया. मीरा स्मृति सम्मान नीरज खरे की कृति आलोचना के रंग को प्रदान किया गया. आलोचना के रंग के लिए साहित्यकार नीरज खरे को पुरस्कार स्वरूप 25 हजार रुपए नकद, अंगवस्त्रम एवं प्रशस्तिपत्र देकर सम्मानित किया गया. नीरज की इस कृति में साहित्य की चारों विधाओं उपन्यास, कविता, कहानी, आलोचना की उल्लेखनीय कृतियों का समालोचात्मक अध्ययन किया गया है. इस सत्र के विशिष्ट अतिथि एनसीजेडसीसी के निदेशक इंद्रजीत ग्रोवर रहे. स्वागत एसके पांडेय, अध्यक्षता सूर्य प्रकाश दीक्षित, संचालन डा. आनंद श्रीवास्तव और आभार डा. शांति चौधरी ने किया. आरंभ में कृतिका अग्रवाल ने भरतनाट्यम प्रस्तुत किया. सुरेश चंद्र अग्रवाल, राधेश्याम अग्रवाल, राजेंद्र कुमार, अजीत पुष्कल, विजय कुमार अग्रवाल, डा. वर्षा अग्रवाल, डा. अशरफ अली बेग, फज्ले हसनैन, अशोक त्रिपाठी, एचसी पांडेय, विभूति मिश्र, मीनूरानी दुबे आदि मौजूद रहे
मीरा स्मृति सम्मान समारोह में कई साहित्यकार सम्मानित
प्रयागराज: साहित्य भंडार एवं मीरा फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में 'मीरा स्मृति सम्मान समारोह' स्थानीय उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र में आयोजित हुआ. दो सत्रों में बंटे इस समारोह में रचनाशीलता के लिए हिंदी एवं गैर हिंदी भाषी साहित्यकारों को सम्मानित करने के अलावा कुछ पुस्तकों का विमोचन भी किया गया. प्रथम सत्र की अध्यक्षता इलाहाबाद विवि के हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष एवं सुप्रसिद्ध आलोचक प्रो. राजेंद्र कुमार ने की. उन्होंने कहा कि आलोचना तभी सफल होती है जब लेखक और पाठक का रिश्ता बना रहे. आलोचक वही होता है जो किसी रचना की सच्चाई सामने लाता है. रचना की कमी निकालने वाले बेहतर आलोचक नहीं हो सकते. मुख्य अतिथि के रूप में साहित्यकार डा. खगेंद्र ठाकुर ने कहा कि देश में राजनीतिक चेतना जगाने में साहित्य की अग्रणी भूमिका रही है. साहित्यकारों को मानव मूल्यों की रक्षा के लिए आगे आना चाहिए. रीवा विवि के रसायन शास्त्र के विभागाध्यक्ष डा. विजय अग्रवाल ने चयन संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी साझा की.