भोपालः मालवा की गौरवमयी संस्कृति की सौम्य सहज सुखद अभिव्यक्ति का पर्व 'संजा' है. संजा मालवा अंचल का पारंपरिक लोक नृत्य है. श्राद्ध पक्ष के 16 दिन कुंवारी कन्याएं शाम के समय एक स्थान पर एकत्रित होकर संजा गीतों का गायन करती हैं और आरती कर प्रसाद बांटती हैं. मध्य प्रदेश जनजातीय संग्रहालय सभागार में प्रतिभा रघुवंशी ने अपने साथी कलाकारों के साथ 'मालवी लोकनृत्य' प्रस्तुत किया. नृत्य प्रस्तुति की शुरुआत कलाकारों ने 'संजा नृत्य' प्रस्तुत कर की. संजा नृत्य के बाद कलाकारों ने मालवी भाषा में गणेश वंदना 'सेवा म्हारी मानी लो गणेश देवता' पर केंद्रित नृत्य दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत किया. इस नृत्य प्रस्तुति में कलाकारों ने अपने नृत्याभिनय माध्यम से गणेश जी के स्वरूप को मंच पर बिम्बित किया. इसके पश्चात कलाकारों ने मालवी 'मटकी नृत्य' प्रस्तुत किया. इस नृत्य में नृत्यांगनाएं मटकी लेकर ढोलक की ताल पर नृत्य करती हैं.
नृत्य प्रस्तुति के अंत में प्रतिभा रघुवंशी ने अपने साथी कलाकारों के साथ राधा-कृष्ण की मालवी परंपरा आधारित होली गीत 'म्हारो टूट गयो बाजूबंद कान्हा होरी में' पर नृत्य प्रस्तुत करते हुए अपनी नृत्य प्रस्तुति को विराम दिया. नृत्य प्रस्तुति के दौरान मंच पर चेतना पांडेय, हर्षा व्यास, अनन्या गौड़, अभिवृद्धि गेहलोद, कावेरी भटनागर, गौरीशा चावड़ा, नृत्या जोशी, जीया रणधवल, सयाली मोदी, कनिष्का जोशी, कल्याणी पाटनकर, मुस्कान खोयरे, रीया सोनी, सौम्या भार्गव, श्रेया सैनी, भूमिका पवार, शाम्भवी टंडन, विधि जोशी, राघवी, अंशिका अखंड, श्रुति परमार, ऐश्वर्या शर्मा और विभूति तेजनकर आदि ने अपने कलात्मक नृत्य से सभागार में मौजूद दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. प्रस्तुति के दौरान हारमोनियम पर अजय गंगोलिया, ढोलक पर विजय गंगोलिया और गायन में शिवानी गंगोलिया ने सहयोग किया. इस नृत्य प्रस्तुति का निर्देशन प्रतिभा रघुवंशी ने किया.