बिहारशरीफ़, 15 सितंबर। नालंदा जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन व कविता कोश के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित मां मालती देवी स्मृति सम्मान समारोह व काव्यार्पण का आयोजन शहर के टाउन हॉल में आयोजित किया गया जिसका उदघाटन  साहित्यकार मिथिलेश, मुचकुंद शर्मा, शिक्षाविद डॉ कुमार अरुणोदय, ग़ज़लकार समीर परिमल, राहुल शिवाय, साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ दयानंद प्रसाद, सचिव उमेश प्रसाद उमेश, ' किड्ज केयर कान्वेंटके निदेशक विनय कुमार, मगही अकादमी के पूर्व अध्यक्ष उदय शंकर शर्मा व संयोजक संजीव कुमार मुकेश ने संयुक्त रूप से किया।

इस अवसर पर सूबे के पांच साहित्यकार व समाजसेवी को क्षेत्र में अनुपम योगदान हेतु अंगवस्त्र, स्मृति चिन्ह व सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया – डॉ. मिथिलेश, डॉ. मुचकुंद शर्मा, डॉ. कुमार अरुणोदय, समीर परिमल एवं राहुल शिवाय। 

डॉ. कुमार अरुणोदय ने कहा "माँ को हम श्रद्धांजलि नहीं दे सकते हैं, याद अवश्य कर सकते हैं। माँ सर्वोपरि है।"

उमेश प्रसाद 'उमेश' ने कहा "आज के आधुनिक दौर में किसी सुपुत्र द्वारा अपनी माँ की स्मृति में साहित्यिक आयोजन करना स्वयं में सुसंस्कृत उदाहरण है। कार्यक्रम के आयोजक व मगही के जाने-माने कवि संजीव कुमार मुकेश ने माँ से जुड़ी अपनी बचपन की स्मृतियों को साझा किया।"

 मालती देवी स्मृति समारोह और हिन्दी दिवस के सुखद समागम पर आयोजित इस कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. मुचकुंद शर्मा द्वारा रचित मगही महाकाव्य ययाति एवं मैया कमलाएवं डॉ. रामाश्रय झा द्वारा डॉ. मुचकुंद शर्मा के जीवन पर आधारित कविकथानामक पुस्तकों का लोकार्पण किया गया।

इस कार्यक्रम में बिहार और झारखंड के दस कवियों ने कविता, गीत-गज़ल की शानदार प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का शुभारंभ राकेश ऋतुराज ने नालन्दा गीत गाकर किया।

पटना से आए प्रसिद्ध शायर समीर परिमल ने अपनी ग़ज़लों से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने सुनाया –

"सबकी हिंदी ज़ुबान हो जाए

ख़ूबसूरत जहान हो जाए

आरज़ू मुख़्तसर सी है अपनी

दिल ये हिंदोस्तान हो जाए"

कैलाश झा किंकर जो खगड़िया से आए थे ने सभा में अंगिका कविता मस्टरवा से सबको खूब हँसाया। इसके बाद हिन्दी ग़ज़लों का सस्वर पाठ किया-

जिंदगी संघर्ष है संघर्ष करना चाहिए।

हार कर बैठें नहीं हम, और चलना चाहिये

 

अक्स समस्तीपुरी –

के पेश आओ मेरे यार लोग अच्छे से।

मुझे भी जानते हैं चार लोग अच्छे से।।

 

डॉ राम नाथ शोधार्थी –

ऐसा लगता था कि मर जाऊंगा मैं तेरे बग़ैर 

और अभी ऐसा है चेहरा भी तेरा याद नहीं। 

 

 सागर आनंद, नीतेश , राहुल शिवाय , अनंत महेंद्र, संजीव  मुकेश   ने भी कविताओं का पाठ किया।

इस अवसर पर कुमार आर्यन, मनीष कुमार रंजन, नवनीत कृष्णा, मुनेश्वर समन, रंजीत दूधू सहित शहर के कई गणमान्य लोग उपस्थित थे। धन्यवाद ज्ञापन सह संयोजक विनय कुमार ने किया।