नई दिल्लीः राजधानी के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में पत्रकार अनंत विजय की कृति 'मार्क्सवाद का अर्धसत्य' का लोकार्पण और चर्चा कार्यक्रम आयोजित हुआ. खचाखच भरे हाल में राजधानी की विभिन्न विचारधाराओं से जुड़े बौद्धिकों, साहित्यकारों और पत्रकारों ने बड़े धैर्य से ख्यातिलब्ध लेखक नरेंद्र कोहली, मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी एवं वाणी त्रिपाठी टिक्कू को सुना. केंद्रीय मंत्री स्मृति ज़ूबिन इरानी ने कहा कि लेखक अनंत विजय ने विविध विषयों को छूते हुए मार्क्‍सवाद का जो अर्धसत्य लिखा है वह निश्चित तौर पर पठनीय है. इस पुस्तक का अनुवाद अंग्रेजी के अलावा जितनी भारतीय भाषाओं में प्रकाशित होगा, भारतीय लोकतंत्र के लिए उतना ही लाभदायी होगा. वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. नरेंद्र कोहली ने कहा कि वे आलोचक नहीं हैं, लेकिन मार्क्‍सवाद का अर्धसत्य पढ़ते हुए उन्हें लगा कि लेखक ने अर्धसत्य नहीं बल्कि पूर्ण सत्य को बहुत ही साहस और बेबाकी के साथ उजागर किया है. रंगकर्मी व केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की सदस्य वाणी त्रिपाठी टिक्कू ने पुस्तक के अंश 'विचारधारा की लड़ाई या यथार्थ की अनदेखी' का पाठ करते हुए कहा कि वामपंथी अगर इस देश में वामपंथ नहीं कर रहे होते तो उनका भविष्य बहुत उज्ज्वल होता.

कार्यक्रम में मौजूद लेखक प्रेम जनमेजय की टिप्पणी थी कि यह आयोजन मार्क्सवाद की विसंगतियों पर तीन पीढ़ियों के प्रखर विचार सुनने का महत आयोजन था. यहां व्यक्त विचार एकतरफा नहीं थे, अपितु बहस की चुनौती देने वाले थे. कार्यक्रम में वक्ताओं के विचार से पूर्व इस पुस्तक को लिखने की आवश्यकता पर अनंत विजय की यह टिप्पणी मौजूं थी कि पिछले एक लंबे दौर में मार्क्सवाद के नाम पर बांटने और सत्ता का लाभ उठाने वाले लेखकों और राजनीतिज्ञों का गठजोड़ हाबी थी, जिन्हें बेनकाब करने के लिए यह पुस्तक जरूरी थी. बतौर लेखक लगभग एक दशक के शोध के बाद लिखी गई इस पुस्तक का मकसद किसी विचारधारा को शर्मिंदा करना नहीं, बल्कि इसके जरिये एक विमर्श की शुरुआत करने का है कि हर विचारधारा के लोग आपस में मिलें, बैठें और चर्चा करें.अपने प्रकाशन के साथ ही इस पुस्तक ने लोकप्रियता का नया पैमाना छू लिया है. प्रकाशक के अनुसार इसका दूसरा संस्करण आ चुका है. धन्यवाद वाणी प्रकाशन के अरुण माहेश्वरी ने किया.