नई दिल्लीः माटी की सुगंध व्हाट्सएप समूह के तत्वावधान में पुष्प शीर्षक से कवि सम्मेलन का सफल आयोजन किया गया. अध्यक्षता जाने-माने गीतकार डॉ जयसिंह आर्य ने की. मुख्य अतिथि जाने-माने छन्द शिल्पी डॉ कृष्ण कुमार 'नाज' ने की. सानिध्य प्रसिद्ध गजलकार अनुपिन्दर सिंह 'अनूप' का था. विशिष्ट अतिथि पवन कुमार 'पवन' व विजय प्रेमी ने किया. संचालन डॉक्टर सीमा विजयवर्गीय ने किया. कवयित्री सरिता गुप्ता की वाणी वंदना से कवि सम्मेलन का शुभारंभ हुआ. गीतकार प्रीतम सिंह 'प्रीतम' ने राष्ट्रीयता के पुष्प गीत प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया. डॉक्टर जय सिंह आर्य ने कहा-
मन जंगल है उपवन इसे बनाओ रे
मन उपवन में अपनापन उठ जाओ रे
मानवता की तुलसी फूले और फले
इस तुलसी पे सत कर्मों का दीप जले
इस दीपक का उजाला फैहलाओ रे
मन जंगल है उपवन इसे बनाओ रे
मुख्य अतिथि डॉ कृष्ण कुमार 'नाज़' ने अपने शेर में कहा, 'तुम्हारे गमले के फूलों का शुक्रिया ऐ दोस्त, जो बातें करते रहे मुझसे मुस्कुराते हुए…' शायर अनूपिन्दर सिंह 'अनूप' ने कहा, 'रंग चमक को देख, मत जाना तुम भूल, खुशबू दे सकते नहीं कभी कागजी फूल…'; पवन कुमार 'पवन' ने पुष्प का दर्द कुछ गीत में इस प्रकार प्रस्तुत किया, 'जिसने बच्चों से भी ज्यादा प्यार किया, मुझे उसी ने बाजारों में बेच दिया'; चर्चित गीतकार विजय 'प्रेमी' का यह गीत भी खूब सुना गया, 'जब जब मैं गम के सागर में डूबा होता हूं, तब तब मेरी कविता मेरा दिल बहलाती है…' संचालिका डॉ सीमा विजयवर्गीय ने कहा, 'कितने मौसम है ये मेरी आंखों में, घोल जाता दरख़्त फूलों…' षुष्प विषय पर जिन अन्य कवियों ने अपना सारगर्भित काव्य पाठ किया. उनमें प्रमुख रहे रामनिवास भारद्वाज 'ज़ख़्मी', पवन शर्मा 'अनुराग', अजय तोमर, बृजेश सैनी, भारत भूषण वर्मा, अनिल पोपट, नरेश कुमार, प्रेम सागर 'प्रेम', संध्या सरल शामिल हैं. अंत में संयोजक डॉ सुदेश यादव 'दिव्य' ने सभी कवियों व अतिथियों का आभार व्यक्त किया.