अमृतसर: महाराजा रंजीत सिंह के जीवन पर आधारित पुस्तक 'द कैमल मर्चेट ऑफ फिलडेलफिया' के लेखक अमेरिका के प्रवासी भारतीय इंजीनियर सर्बजीत सिंह जब अमृतसर आये तो उन्होंने इस पुस्तक की विषयवस्तु पर प्रकाश डालते हुए बताया कि उन्होंने महाराजा रंजीत सिंह के दरबार में रहने वाली शख्सियतों को अपनी पुस्तक में फोकस किया है. खासतौर से वे महाराजा रंजीत सिंह की सास सभा कौर के जीवन से खासे प्रभावित हुए हैं, जोकि उस समय में दूरदर्शी महिला के तौर पर जानी जाती थीं. सर्बजीत ने अकाली फूला सिंह, गोरखा व फिरंगियों के साथ अमेरिका व इटली की शख्सियतों के जीवन पर रिसर्च करने के बाद इस पुस्तक को लिखा गया है. बतौर एक इंसान उनके जीवन में भी कुछ खूबियां व कुछ खामियां पाई गई हैं, जिन्हें बिना किसी पक्षपात के लिखा गया है.
सर्बजीत सिंह ने कहा कि भले ही वह इतिहासकार नहीं हैं, मगर यूएसए में बच्चों को सिख इतिहास पढ़ाते हुए ही उनमें पुस्तकें लिखने का शौक जगा. उन्होंने सोचा कि महाराजा रंजीत सिंह के विषय पर तो बहुत से लेखकों ने लिखा है, इसलिए वह दरबार में उनके साथ रहने वाली शख्सियतों पर लिखेंगे. पुस्तक द कैमल मर्चेंट ऑफ फिलडेलफिया को लिखने में उन्हें लगभग दो-ढाई साल तक का समय लगा है. सिंह का कहना है कि इसमें कोई शक नहीं है कि महाराजा रंजीत सिंह एक महान राजा थे, मगर उन्हें गुरसिख महाराजा के तौर पर देखना सही नहीं है. पुस्तक में उनकी शख्सियत के दोनों की पक्षों को दिखाने की कोशिश की गई है और यह बताने की कोशिश की गई है कि उनके उस पक्ष को भी देखना चाहिए जो बेहद संवेदनशील है। उनकी शख्सियत को कभी नजरअंदाज भी नहीं किया जा सकता है.