नई दिल्लीः अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण साहित्य जगत के लिए भी खुशी लेकर आया है. 'आओ गुनगुना लें गीत' समूह द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन में कवियों ने अपनी भावनाएं बेहद उम्दा ढंग से अभिव्यक्त कीं. कवि सम्मेलन की अध्यक्षता छन्द शिल्पी बृजेन्द्र हर्ष ने की. मुख्य अतिथि निवेदिता चक्रवर्ती, सानिध्य अतिथि केसर कमल, विशिष्ट अतिथि महेन्द्र सिंह माही थे तो संयोजक की भूमिका भारत भूषण वर्मा ने निभाई. संचालन कवि प्रीतम सिंह प्रीतम के जिम्मे थी, तो पटल के संरक्षक गीतकार डॉ जयसिंह आर्य ने निभाई. उन्होंने सभी कवियों का स्वागत किया. कवि सम्मेलन की शुरुआत परंपरानुसार आराधना सिंह अनु की सरस्वती वन्दना से हुई, इसके बाद तो समूचा वातावरण ही प्रभु श्री राम के महिमामंडन से राममय हो गया. कुछ कविताओं की बानगी ही इस माहौल को उजागर करने के लिए पर्याप्त है. बृजेन्द्र हर्ष ने पढ़ा 'कर गुजरने की घड़ी है, वक्त कब विश्राम का. जाप जपना ही पड़ेगा, सबको उसके नाम का, सज चुकी मन की अयोध्या, सद्गुण का संयोग है, मर्यादा की भूमि में, मन्दिर बनेगा राम का…“
इस सम्मेलन में डॉ जय सिंह आर्य ने अपने कविता से भक्तिरस की छाप छोड़ी. “जूठे बेर खिलाए शबरी, राम प्रेम से खाये. आदर्शों के शिखर पुरुष बनकर वह जग पर छाये.a..” निवेदिता चक्रवर्ती ने पढ़ा, “राम जीवन का अमिट पहलू हैं, शाश्वत सच हैं, राम कठिनाइयों के समक्ष सुदृढ कवच हैं…” केसर कमल की कविता के बोल थे, “झूठ-कपट का लिया सहारा, राम नाम से किया किनारा, ज़हर लिया तूने घोल, रे बन्दे! राम नाम बोल…” महेन्द्र माही की कविता थी, “चोट लगती है तो इन्सान राम-राम कहे. रूबरू होते ही पहचान राम-राम कहे. जन्म हो, मौत हो या हो कोई भी शुभ मंगल, होंठ चुप भी हों तो दालान राम-राम कहे…” भारत भूषण वर्मा ने पढ़ा, “असुर संहारक राम प्रभु नवशक्ति का संचार करो. सूर्यवंशी रघुकुल भूषण, भारत का उद्धार करो…”
प्रीतम सिंह प्रीतम की कविता थी, “भारतीय जनता के नायक हैं राम, भारत अखण्डता के दायक हैं राम, अशोक-अकबर ने जो काम लिया था, युगों पूर्व राम ने वो काम किया था…” आराधना सिंह अनु की कविता थी, “छोड़ फूलों के गलीचे शूल पर चलना पड़ा. दर्द में भी मुस्कुराकर दर्द को छलना पड़ा, था नहीं आसान कहलाना ख़ुद को राम, कष्ट सहकर सांचे में प्रभु राम को ढलना पड़ा.” इनके अतिरिक्त अनिल पोपट कामचोर, बृजेश सैनी, श्रीकृष्ण निर्मल, कृष्ण गोपाल सोलंकी, सुरेन्द्र खास, सूरजपाल सिंह, राजकुमार अरोड़ा गाइड, सन्तोष त्रिपाठी, डॉ पंकज वासिनी और पूनम रजा ने भी बेहतरीन कविताएं सुनाईं.