पटना, 11 सितंबर। पटना के कई कवि , शायरों ने  दिल्ली से आए मशहूर शायर मनीष मधुकर के सम्मान में ' टैगोर एडुकॉन्स', बोरिंग रोड में एक साहित्यिक गोष्ठी का आयोजन किया।  अध्यक्षता वरिष्ठ  कवि व साहित्यकार प्रभात सरसिज ने की जबकि  संचालन सूरज ठाकुर बिहारी ने किया।इस अवसर पर मनीष मधुकर ने अपने गीत-ग़ज़लों  का उपस्थित लोगों के बीच प्रभावशाली पाठ किया। मनीष मधुकर ने सुनाया 

" जो चाहे मेरी दौलत की इक इक पाई पाई को,

उसकी असली दौलत मैं हूँ समझाऊं क्या भाई को,

संस्कार यूँ रोप गये हैं मुझमें अम्मा बाबूजी

मैं अम्मा बोला करता हूँ अपने घर की दाई को "

 

चर्चित कवि व शायर समीर परिमल ने अपनी रचना में कहा

"मुझे अश्कों को पीने का हुनर आता नहीं यारों,

छुपा लूँ किस तरह आंखों से ये बहते हुए चेहरे"

 

युवा शायर अविनाश अमन ने  अपनी रचना में कहते हैं।

"वक़्त से पहले ही बूढ़ा कर दिया हालात ने

ज़िंदगी का बोझ बच्चों की जवानी ले गया"

 

युवा  कवि रामनाथ शोधार्थी ने भी अपनी कविया सुनाई

"बोलते रहना अगर बोलने आता है तुम्हें

बोलते रहने से आवाज़ बनी रहती है"

इस मौके पर शहंशाह आलम, डॉ. रानी श्रीवास्तव, मधुरेश नारायण, रामनाथ शोधार्थी, विभूति कुमार, अक्स समस्तीपुरी, गणेश जी बाग़ी, सुनील कुमार, अमित कुमार समेत कई गणमान्य कवि-साहित्यकार उपस्थित थे।