जयपुर: जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल गुरूवार से सोमवार तक चलता है. रविवार को हमेशा जोरदार भीड़ देखी जाती है, पर इस बार भीड़ पिछले सालों के मुकाबले कुछ कम थी. गीतकार और एडमैन प्रसून जोशी को आना था और उनके दो सत्र भी थे, लेकिन वे पहुंच नहीं पाए. भीड़ में कमी के बारे मे मीडिया ने जब फेस्टिवल की डायरेक्टर नमिता गोखले से पूछा तो उन्होंने कहा कि पिछले वर्षो में भीड़ के कारण हुई अव्यवस्था को देखते हुए इस बार हमने इसे कुछ कंट्रोल करने का प्रयास किया था और इसीलिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन बंद कर दिए गए थे. .
सत्रों के लिहाज से रविवार को मनीषा कोइराला ने जहां कैंसर से अपनी जंग की दास्तां सुनाई, वहीं इस्लाम को लेकर हुए एक सत्र में पूर्व केन्द्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि भारत में दुनिया भर में इस्लाम को लेकर आस्था एक ही है, लेकिन स्थान के हिसाब से परंपराओं में कुछ बदलाव आ जाता है, जैसे भारत में इस्लाम का स्वरूप पश्चिम एशिया से कुछ अलग दिखता है. उन्होंने कहा कि इस्लाम के बारे में बात करने वाले अक्सर वो बाते बताते हैं जो इस्लाम में हैं ही नहीं. तीन तलाक के विषय पर सलमान खुर्शीद ने कहा कि जो चीज इस्लाम में नहीं है और जिसे सुप्रीम कोर्ट भी नकार चुका है, उस पर किसी को सजा कैसे दी जा सकती है. एक अन्य सत्र में मातृभाषा के महत्त्व को लेकर बातचीत हुई. 'रीक्लेमिंग द मदर टंग' सत्र में सेशन में पंजाबी लेखक देशराज काली ने कहा कि मातृभाषा का महत्त्व इससे जाहिर होता है, कि एक समय कहा जाता था कि तेरी उम्र लोकगीत जितनी लम्बी हो और किसी को गाली देनी होती थी तो बोलते थे कि जा तू अपनी मातृभाषा ही भूल जा. मलयालम लेखक एनएस माधवन ने कहा कि अपनी भाषा से जुड़ाव रखने के लिए उसे पढ़ना और बोलचाल में इस्तेमाल करना बहुत जरूरी है. लेखक अखिल कात्याल ने अपनी भाषा से जुड़े रहने के लिए उस भाषा की किताबें जरूर पढ़ें. इसके अलावा एक सत्र में भारत में जादू के इतिहास पर चर्चा हुई और जादूगर के.एस. रमेश ने जादू भी दिखाए.