मधुबनीः साहित्य अकादमी नई दिल्ली तथा साहित्यिकी मधुबनी के संयुक्त तत्वावधान में पिछले दिनों मनमोहन झा जन्मशती संगोष्ठी एवं कथासंधि का आयोजन सरिसब पाही स्थित लक्ष्मीवती संस्कृत महाविद्यालय के सभागार में हुआ. कार्यक्रम की शुरुआत साहित्यकार सदन मिश्र की अध्यक्षता में हुई, जिसमें साहित्य अकादमी के विशेष कार्याधिकारी देवेन्द्र कुमार देवेश ने कहा कि साहित्य अकादमी ने पिछले वर्ष सुदूर क्षेत्रों में संगोष्ठी का आयोजन किया, जिसमें सुपौल, सहरसा व मधेपुरा शामिल हैं. अकादमी ने मनमोहन झा के निबंध पर डॉ. यशोदानाथ झा की पुस्तक भी प्रकाशित की है. साल 2017 में अकादमी ने 650 कार्यक्रम व 550 अंक पुस्तकों का प्रकाशन किया. इसके अलावा ग्रामलोक श्रृंखला का आयोजन कई भाषाओं में किया जा रहा है. मैथिली भाषा में विद्यापति की जन्मस्थली से इसका आरंभ हुआ और फिर मिथिलाचंल में आठ कार्यक्रम किए गए.

 परामर्श मंडल संयोजक प्रेम मोहन मिश्रा ने कहा कि मनमोहन झा उन गिने चुने साहित्यकारों में हैं जिन्होंने अपनी कथा व साहित्य से समाज को नई चेतना दी. अकादमी मैथिली साहित्य के विकास के लिए दृढ़ संकल्पित है. मनमोहन झा द्वारा लिखित व प्रकाशित सभी छह पुस्तकें अत्यधिक उपयोगी हैं. उन्होंने कहा कि अकादमी द्वारा मैथिली की सभी प्रकाशित पुस्तकों की एक- एक प्रति का कुल मूल्य 18900 रुपए है. यदि हर शैक्षणिक संस्थान व सक्षम व्यक्ति इसे ले लें तो यह उपयोगी होगी. उन्होंने कहा की मनमोहन झा की कथाओं में प्रारंभ के ग्रंथों में नारी चरित्र सर्वोत्तम है, बाद में थोड़ा वर्तमान समय की झलक मिलती है. प्रारंभ की रचना दुखांत व कालांतर की रचनाओं में सुखांत का बोध है. उन्होंने साहित्यकी की प्रशंसा करते हुए कहा की यह संस्था मैथिली साहित्य के विकास व विस्तार में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है.

साहित्यकार डा. यशोदानाथ झा ने अपने बीज भाषण के माध्यम से मनमोहन झा के जीवन व पारिवारिक स्थिति का वर्णन किया. साहित्यिकी के अध्यक्ष विद्यानंद झा ने धन्यवाद ज्ञापन दिया. इस दौरान मनमोहन झा के सुपुत्र नेत्रनाथ झा विशिष्ट अतिथि के रूप मे मंचस्थ रहे. कई सत्रों में बंटे कार्यक्रम में डा.जगदीश मिश्र, भैरवेश्वर झा, विजय मिश्र. अजय मिश्र,  डा. विश्वेश्वर मिश्र, शांतिनाथ ठाकुर, सत्येन्द्र कुमार झा, अरूण कुमार ठाकुर, रमानन्द झा रमण, कपिल अशोक, अशोक कुमार मेहता, अरूण कुमार, सुरेश पासवान, अरविन्द कुमार, अजीत मिश्र, कुमारी अमृता चौधरी मिथिला, उदय कुमार झा, प्रबोद झा, ऋषिनाथ झा, रतिनाथ झा, मुखिया रामबहादुर चौधरी, हीरानाथ झा, अमल कुमार झा, दमन कुमार झा, नरायणजी झा आदि ने मनमोहन झा के कृतित्व, व्यक्तित्व, साहित्य व कथा, उनकी कथाओं में नारी विमर्श व कथा की विविधता आदि पर अपने विचार रखे या आलेख प्रस्तुत किए. इस मौके पर कथा संधि में कथा पाठ के साथ साहित्यकी व साहित्य अकादमी की ओर से विशेष छूट के साथ पुस्तक प्रदर्शनी भी लगाई गई.