भोपालः मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय और इकतारा संस्थान ने संग्रहालय सभागार में 27 सितम्बर से 29 सितम्बर तक तीन दिवसीय 'दस्तक समारोह' का आयोजन किया. इस कार्यक्रम में हिंदी के दिग्गज साहित्यकार, चित्रकार और कलाकार शामिल हुए. अभिनेता अमोल पालेकर ने चित्र प्रदर्शनी का उद्घाटन करने के साथ ही 'संवाद' कार्यक्रम के तहत लोगों से कला, साहित्य और आधुनिकता पर बातचीत की. उन्होंने पुस्तकें पढ़ने के महत्व को लोगों से साझा किया और बताया कि बच्चों को अच्छी किताबें पढ़नी चाहिए. अमोल पालेकर ने बातचीत के दौरान एक मराठी कविता भी श्रोताओं को सुनाई. दर्शक दीर्घा में मौजूद लोगों ने कला, संस्कृति के साथ-साथ फ़िल्मी जगत और उनके अपने अनुभवों से सम्बंधित प्रश्न अमोल पालेकर पूछे. इसके पश्चात संग्रहालय सभागार में 'कला में होना' पर केंद्रित अशोक वाजपेयी ने वक्तव्य दिया. अशोक वाजपेयी ने बताया कि कला में होने के क्या मायने हैं. उन्होंने कहा की जिस अनुपात में कला है, उस अनुपात में कला रसिक नहीं हैं.
अशोक वाजपेयी ने कहा कि मध्यम हिंदी समाज पुस्तकों से मुंह मोड़ चुका है. उन्होंने अपने वक्तव्य के दौरान बताया कि कलाएं कलाकार को आत्म विस्तार का अवसर देती हैं, फिर चाहे आप कला की किसी भी विधा में क्यों न हों. संग्रहालय में लगी दस्तक चित्र प्रदर्शनी में जंगल के संसार और आधुनिक समाज का चित्रण कलाकारों ने अपने कलात्मक चित्र कौशल से कैनवास पर उकेरा है. जहाँ पशु-पक्षियों के कलरव जन-जीवन की सुन्दर अभिव्यक्ति इन चित्रों को समझा जा सकता है. यह चित्र ज्यादा तार्किक न होकर भावनात्मक रूप से ज्यादा अपने से जोड़ते मालूम पड़ते हैं.| इन चित्रों में आधुनिक समाज और वस्तुनिष्ठ लोगों को भी चित्र माध्यम से प्रदर्शित किया गया है. समारोह के अंतिम दिन बाल साहित्य की कसौटियों पर केंद्रित परिचर्चा हुई और शाम को 'खुसरो दरिया प्रेम का' अंतर्गत अमीर खुसरो के पदों का गायन बिंदु मालिनी अपने साथी कलाकारों के प्रस्तुत किया.