मुंबईः रजनीगंधा, पिया का घर, एक रुका हुआ फैसला, उस पार, चितचोर, स्वामी, खट्टा मीठा, प्रियतमा, चक्रव्यूह, छोटी सी बात, जीना यहां, बातों बातों में, अपने प्यारे, शौकीन, चमेली की शादी और सफेद झूठ जैसी अनूठी फिल्मों से हिंदी सिनेमा जगत में अपना अलग मुकाम बनाने वाले फिल्मकार और पटकथा लेखक बासु चटर्जी नहीं रहे. उनके निधन से फिल्मी दुनिया और कला जगत ने एक बेहद वरिष्ठ और प्रतिभावान निर्देशक खो दिया है. हालांकि बासु चटर्जी 93 साल के हो चुके थे, पर सिनेमा जगत उनके योगदान से अभिभूत था. भारतीय फिल्म और टीवी डायरेक्टर्स असोसिएशन के अध्यक्ष अशोक पंडित ने उनके निधन की खबर ट्वीट से साझा की और लिखा, “मुझे आप सबको ये बताते हुए बहुत दुख हो रहा है कि दिग्गज फिल्ममेकर बासु चटर्जी अब नहीं रहे… उनका जाना इंडस्ट्री के लिए एक बहुत बड़ा धक्का है. आप बहुत याद आएंगे सर.” मुंबई के एक अखबार में कार्टूनिस्ट और इलस्ट्रेटर से अपने सृजन कर्म की शुरुआत करने वाले बासु चटर्जी ने भारतीय सिनेमा जगत की अगली सीढ़ी पर कदम रखने में बड़ी भूमिका अदा की. वह राज कपूर और वहीदा रहमान अभिनित क्लासिक फिल्म तीसरी कसम में बासु भट्टाचार्य के सहयोगी थे. सारा आकाश से वह स्वतंत्र निर्देशक बने.
बासु चटर्जी 1969 से लेकर 2011 तक फिल्मों के निर्देशन में सक्रिय रहे. बासु दा की लोकप्रियता और व्यापक प्रभाव का अंदाज इसी से लगा सकते हैं कि उनके निधन से न केवल सिनेमा व कला जगत बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित तमाम दिग्गजों ने अपने दुख का इजहार किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ट्वीट में लिखा, “श्री बासु चटर्जी के निधन के बारे में जानकर बहुत दुख हुआ. उनका काम बहुत शानदार और संवेदनशील रहा है. ये लोगों के दिलों को छू जाता है और साधारण व जटिल भावनाओं को जाहिर करता है, साथ ही ये लोगों के संघर्ष के बारे में भी बताता है. उनके परिवार और बेहिसाब फैन्स को मेरी सहानुभूति. ओम शांति.” अमिताभ बच्चन ने ट्वीट कर लिखा, “बासु चटर्जी के निधन पर मेरी सांत्वनाएं और सहानुभूति. एक शांत, मृदुभाषी, सज्जन व्यक्ति. उनकी फिल्में मध्य भारत की को परिलक्षित करती थीं. उनके साथ मैंने मंजिल में काम किया था. बहुत दुख हो रहा है….इस माहौल में उनका गाना रिमझिम गिरे सावन याद आ गया.” बासु चटर्जी के निधन पर शोक व्यक्त करने वालों में सिनेमा व सियासत जगत के अनुराग कश्यप, डॉ हर्षवर्धन, अरुण गोविल, अनूप जलोटा, संजय निरुपम, अर्जुन मुंडा, कैलाश विजयवर्गीय, अनुपम खेर, बाबूलाल मरांडी, दिव्या दत्ता, जीत गांगुली, जिम्मी शेरगिल आदि शामिल हैं. जाहिर है बासु दा के निधन से चुहल से भरी मुलायम भावनाओं वाली फिल्मों के एक युग का भी अंत हो गया.