मदारीपुर जंक्शन के लेखक बालेंदु द्विवेदी को उनके उपन्यास के लिए उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान की ओर से वर्ष 2017 का अमृतलाल नागर पुरस्कार दिया जाएगा। बालेन्दु को यह सम्मान 30 दिसंबर,2018 को एक सार्वजनिक समारोह में दिया जाएगा। लेखक बताते हैं कि इस उपन्यास को पूरा करने में लगभग साढ़े तीन साल का समय लगा था। पाठकों के बीच यह उपन्‍यास इतना लोकप्रिय हुआ कि अपने प्रकाशन के एक माह के भीतर ही इसके प्रथम संस्करण की सारी प्रतियां बिक गईं। साथ ही इलाहाबाद की संस्था 'दि थर्ड बेल' के रंग निर्देशक आलोक नायर द्वारा इस पर आधारित नुक्कड़ नाटक का मंचन इलाहाबाद,लखनऊ, उन्नाव,बाराबंकी आदि शहरों में भी किया गया। लेखक के मुताबिक मदारीपुर जंक्‍शन पर उडि़या में भी नाट्य मंचन  की योजना बन रही है। उनका दावा है कि इस किताब का अंग्रेज़ी,उर्दू और उड़िया भाषाओं में अनुवाद हो रहा है। फ़्रांस की सबसे बड़ी प्रकाशन कंपनी ने भी इसके प्रकाशन में अपनी रुचि दिखाई। मुंबई में आयोजित जियो मामी फिल्म फेस्टिवल में फिल्‍म इंडस्ट्री के नौ बड़े फिल्म घरानों ने इसके स्क्रिप्ट में अपनी रुचि दिखाई। इस कार्यक्रम के आयोजन समिति की चेयरपर्सन किरण राव ने भी इसके कंटेंट और प्रस्तुतिकरण को खूब सराहा। लेखक बालेन्दु ने अपने उपन्यास मदारीपुर जंक्शन की एक प्रति किरण राव को भेंट की। 

बालेन्दु वर्तमान में अपने नए उपन्यास वाया फुरसतगंजके लेखन में व्यस्त हैं,जो इलाहबाद की पृष्ठभूमि पर केंद्रित है। बालेन्दु बताते हैं 'इलाहाबाद में मेरे जीवन का एक महत्वपूर्ण समय गुज़रा है।मैंने वहां रहकर न केवल जीवन का बल्कि साहित्य का भी ककहरा सीखा है।यहां का परिवेश,यहां का वैभव और यहां का सुख-दुख और जीवनानुभव साहित्य से लगभग नदारद है। मुझे यह बात बहुत कचोटती आई है। मैं यहां की ज़मीन की वैविध्यता को व्यंग्यात्मक तरीके से उकेरने की कोशिश में हूं। मेरी कोशिश होगी कि 2019 में यह उपन्यास पाठकों के सामने हो।'