भोपालः मध्य प्रदेश के संस्कृति मंत्री डॉ विजय लक्ष्मी साधौ ने वरिष्ठ लेखकों और संस्कृति कर्मियों का आह्वान करते हुए कहा कि उनका दायित्व है कि वे नई पीढ़ी को कला, संगीत एवं साहित्य के साथ ही मूल्यों की परम्परा से भी अवगत कराएं. उन्होंने कहा कि आज मूल्यों में गिरावट आ रही है और परिवार की परिभाषा सीमित हो गई है. बच्चों को एक कक्ष में ही पूरी दुनिया नजर आती है. ऐसे में नई पीढ़ी को जड़ों से परिचित करवाने में साहित्यकारों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है. सरकार के साथ ही समाज का भी दायित्व है कि वह आने वाली पीढ़ी को इस बारे में सीख प्रदान करें. मंत्री डॉ. साधौ ने कहा कि इतने यशस्वी लेखक देश-विदेश से भोपाल पधारे हैं, यह मध्यप्रदेश के लिए सौभाग्य की बात है. मंत्री ने कहा भोपाल संस्कारों की भी राजधानी है. पूर्व प्रधानमंत्री स्व श्रीमती इंदिरा गांधी ने इस सांस्कृतिक परम्परा की कड़ी को भारत भवन के शुभारंभ के साथ आगे बढ़ाया था.
संस्कृति मंत्री डॉ साधौ ने कहा कि मध्यप्रदेश में पग-पग पर संस्कृति के रंग दिखाई देते हैं, साहित्य के दर्शन होते हैं. यह देश का दिल है. दिल अच्छे से धड़कता है तभी शरीर स्वस्थ रहता है. इस अवसर पर संस्कृति मंत्री और अन्य अतिथियों ने वनमाली कथा सम्मान-2019 से प्रख्यात कथाकार प्रियंवद, रणेंद्र, भगवान दास मोरवाल, कलाकार मनोज पांडे, तरुण भटनागर को सम्मानित किया. आलोचक राहुल सिंह को युवा कथा सम्मान से नवाजा गया. कार्यक्रम में टेक्नोलॉजी और हिंदी पर व्याख्यान हुआ. इसमें बतौर वक्ता राहुल देव, जितेंद्र चौधरी, मनीष गुप्ता, लीना मेहदेले, ओम विकास, डॉ अनुराग सीठा, अनूप भार्गव, डॉ कविता शामिल हुए. विश्वरंग में साहित्यकार रमेशचंद्र शाह, चित्रा मुदगल, ममता कालिया, फिल्म निर्देशक रजत कपूर, शायर शीन काफ निजाम, सिद्धार्थ, लीलाधर मंडलोई, धनंजय वर्मा और देश-विदेश से पधारे सैकड़ों लेखक और कलाधर्मियों की उपस्थिति भी उल्लेखनीय थी. मोरवाल की नई पुस्तक वंचना का भी लोकार्पण हुआ.