पटनाः कोरोना ने भले ही सामान्य जनजीवन को प्रभावित किया है, पर 'भोजपुरी के शेक्सपियर' कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर की पुण्यतिथि पर भोजपुरी भाषा से जुड़े हर आम और खास ने उन्हें सोशल माध्यमों पर शिद्दत से याद किया. राजनीतिज्ञों में केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने भिखारी ठाकुर को याद करते हुए ट्वीट किया, “बहुआयामी प्रतिभा के धनी, भोजपुरी के महान साहित्यकार, लोक कलाकार, कवि, गीतकार, नाटककार, नाट्य निर्देशक, लोक संगीतकार और अभिनेता भिखारी ठाकुर जी की पुण्यतिथि पर सादर नमन एवं विनम्र श्रद्धांजलि.आपकी रचनाओं व नाटकों ने सामाजिक विषमताओं पर प्रहार कर समरसता को बढ़ावा दिया.” नेता उपेंद्र कुशवाहा ने लिखा, “लोककला के माध्यम से सामाजिक क्रांति लाने वाले भोजपुरी के शेक्सपियर स्व. #भिखारी_ठाकुर जी की पुण्यतिथि पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि.”
भोजपुरी कलाकारों ने भी भिखारी ठाकुर को खूब याद किया. रवि किशन ने लिखा, “Shakespeare….भिखारी ठाकुर जी #भोजपुरी के शेक्सपियर भिखारी ठाकुर जी की 49वीं पुण्यतिथि पर उन्हें शत शत नमन… ” तो खेसारी लाल यादव ने लिखा, “आज “भोजपुरी के शेक्सपियर” कहे जाने वाले साहित्यकार भिखारी ठाकुर जी के देहावसान पर मैं उन्हें याद करता हूँ. इस महान शख्सियत ने देश की सीमा तोड़ विदेशों में भी भोजपुरी को पहचान दिलाई. उनके चरणों में मेरा प्रणाम.” याद रहे कि भिखारी ठाकुर भोजपुरी के सर्वाधिक लोकप्रिय कलाकार रहे. वह बहुआयामी प्रतिभा के धनी थे. भोजपुरी के एक समर्थ लोक कलाकार, रंगकर्मी, लोक जागरण के सन्देश वाहक, लोक गीत, नाटक मंडली तथा भजन कीर्तन के अनन्य साधक के रूप में उन्होंने भोजपुरी समाज के बीच अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई थी. भिखारी ठाकुर कई कामों में व्यस्त रहने के बावजूद भोजपुरी साहित्य की रचना में भी लगे रहे. उन्होंने तकरीबन 29 पुस्तकें लिखीं, जिस वजह से आगे चलकर वह भोजपुरी साहित्य और संस्कृति के संवाहक बने. उनके निर्देशन में भोजपुरी के नाटक 'बेटी बेचवा', 'गबर घिचोर', 'बेटी वियोग' का आज भी भोजपुरी अंचल में मंचन होता रहता है. इन नाटकों और फिल्मों के जरिए भिखारी ठाकुर ने सामाजिक सुधार की दिशा में जबरदस्त योगदान दिया. उनकी प्रतिभा का आलम यह था कि महापंडित राहुल सांकृत्यायन ने उनको 'अनगढ़ हीरा' कहा, तो जगदीशचंद्र माथुर ने कहा 'भरत मुनि की परंपरा का कलाकार'