ईटानगर: हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग ने अपना 71वां अधिवेशन और परिसंवाद अरुणाचल प्रदेश के ईटानगर के राजीव गांधी विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित किया. इस तीन दिवसीय अधिवेशन में हिंदी साहित्य और शिक्षा से जुड़े कई विद्वानों के अलावा पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी और अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर डॉ बीडी मिश्रा ने शिरकत की. राजीव गांधी विश्वविद्यालय के उपकुलपति प्रोफेसर साकेत कुशवाहा ने पूर्वोत्तर और अरुणाचल में हिंदी के विकास के लिए किए जा रहे अकादमिक प्रयासों का जिक्र करते हुए स्थानीय व अन्य भाषाओं में अनुवाद की आवश्यकता पर जोर दिया. अधिवेशन के सभापति के रूप में राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने अंग्रेजी के वर्चस्व पर चिंता जताते हुए कहा कि अब भी अंग्रेज़ी का बोलबाला बहुत है. हिंदी भाषा को उन्नत बनाने के लिए अनुवाद की प्रविधि विकसित की जानी चाहिए. भारतीय भाषाओं में तालमेल बहुत ज़रूरी है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वाभिमान से हिंदी को जोड़ने की ज़रूरत है. हिंदी भाषा को नियोजन की भाषा बनाएं. आज बोलचाल में भाषा की मर्यादा को बनाए रखने की आवश्यकता है. इतना ही नहीं, हिंदी भाषा की वैज्ञानिकता को अच्छी तरह से समझना होगा. भाषा की समृद्धि उसके साहित्य की गुणवत्ता पर निर्भर करती है.

'गांधी जी का भाषा-दर्शन' विषयक परिसंवाद में भाषाविद्-समीक्षक डॉ पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने कहा कि गांधी जी कोई वैयाकरण और भाषाविज्ञानी नहीं थे, अपितु वे एक व्यावहारिक चिन्तक थे. यही कारण है कि जब वे भारत की भाषा पर विचार करते थे, तब हिंदी को राष्ट्रभाषा बताते थे और उसका विकासक्रम वे 'हिन्दुस्तानी' के रूप में देखते थे. साहित्यकार उमेश वशिष्ठ ने भाषा और संस्कृति, गांधी जी का सोच तथा भाषादर्शन पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला. इस सम्मेलन के दौरान कई सत्र हुए. कुछ का संयोजन राजीव गांधी विश्वविद्यालय के प्राध्यापक-द्वय प्रो. हरीश कुमार शर्मा और प्रो. ओकेन लेगो ने किया. राजीव गांधी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. साकेत कुशवाहा सक्रिय रूप से उपस्थित थे. इस सम्मेलन में हिंदी के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए डॉ रमण शांडिल्य, सीताराम तिवारी, डॉ भूपेंद्र राय चौधरी को साहित्य वाचस्पति सम्मान तथा साहित्य सम्मेलन पुरस्कार से प्रोफेसर हरीश कुमार शर्माप्रो. ओकेन लेगो, डॉ मधुसूदन शर्मा, जुम्सी सिराम, डॉ जोराम अनिया तना, डॉ जोराम यलम नबाम, डॉ जमुना बिनि तदार, तुंबोम रिबा लिली, डॉ तारो सिंडिक, बोके बागरा और डॉ अखिलेश शंखधर को सम्मानित किया गया.