नई दिल्लीः भारतीय डाक विभाग पिछले 167 वर्षों से पूर्ण समर्पण भाव और अदम्य उत्साह से देश के कोने-कोने तक लोगों को डाक, वित्तीय एवं सरकारी सेवाएं मुहैया करा रहा है. बहुविध भाषा और सुदूर गंवई, जंगली इलाकों में मौसम से बेपरवाह यह विभाग अपनी सेवा के लिए सराहना का पात्र है. अब जब देश अपनी स्वतन्त्रता की पचहत्तरवीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तब भारतीय डाक ने गणतंत्र दिवस की अपनी झांकी के माध्यम से एक और कड़ी जोड़ते हुए महिला सशक्तीकरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है. भारतीय डाक की गणतंत्र दिवस झांकी का विषय 'भारतीय डाक: संकल्प@75 – महिला सशक्तीकरण' है. यह झांकी, भारतीय डाक की व्यापक पहुंच और आधुनिक चेहरे को दर्शाती है. भारतीय डाक उस कड़ी की तरह है, जो समस्त देश को एक सूत्र में पिरोता है. इस झांकी के खास बिंदु हैं- 'भारतीय डाक, महिलाओं के लिए आदर्श नियोक्ता है. इसे वित्तीय समावेशन का अधिदेश प्राप्त है. इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक के साथ-साथ डाकघर बचत बैंक के अंतर्गत लगभग 50 प्रतिशत खाताधारक महिलाएं हैं. झांकी के अग्र भाग में 'केवल महिला कार्मिकों द्वारा संचालित डाकघरों' को दर्शाया गया है, तो रैंप के माध्यम 'दिव्यांगजनों के लिए अनुकूल डाकघर' की सामाजिक प्रतिबद्धता को दिखाया गया है.
झांकी में एक युवा पोस्टवुमेन के माध्यम से भारतीय डाक के आधुनिक रूप को दर्शाया गया है. पोस्टवुमेन के एक हाथ में डिजिटल डिवाइस तथा दूसरे हाथ में पोस्टमैन की पहचान उसका थैला है. इस तरह यह झांकी प्रौद्योगिकी के साथ परंपरा के मेल का संदेश देती है. पोस्टवुमेन के साथ सभी का जाना-पहचाना लाल रंग का लेटरबॉक्स है, जो भारतीय डाक में लोगों के अडिग विश्वास का सूचक है. इसके साथ ही, भारतीय डाक की विभिन्न सेवाओं जैसे स्पीड पोस्ट, ई-कॉमर्स तथा एटीएम कार्ड आदि को भी दिखाया गया है, जिन पर करोड़ों ग्राहकों का अटूट विश्वास है. पोस्टवुमेन के साथ ही हरकारे की उभरी हुई आकृति दर्शाई गई है, जो पिछले कई दशकों के दौरान भारतीय डाक में हुए कायाकल्प का प्रतीक है. इन दोनों चित्रों को सबके जाने-पहचाने लेटरबॉक्स के आगे दर्शाया गया है. प्रधानमंत्री के नाम '75 लाख पोस्टकार्ड अभियान' भी झांकी का हिस्सा है, तो श्रीनगर का तैरता डाकघर, 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान के अंतर्गत शुरू की गई सुकन्या समृद्धि योजना, देश के सबसे पुराने कोलकाता जीपीओ को भी दर्शाया गया है, जो कि भारतीय डाक के गौरवशाली सफर का गवाह है. झांकी के चारों ओर, देश के स्वतंत्रता संघर्ष से संबंधित डाक-टिकटों का कोलाज है, जिन्हें डिजिटल रूप से खादी पर प्रिंट किया गया है. इसके साथ देश के विभिन्न भागों से आए डाकिए चलेंगे, जिन्होंने हरकारे से लेकर साइकिल, और आज ई-बाइक पर चलते डाकिए का सफर तय किया है.