नई दिल्ली: साहित्य अकादमी ने 'भाषाई सद्भाव दिवसके अवसर पर अकादमी सभाकक्ष में बहुभाषी कविता पाठ का आयोजन किया. इस कार्यक्रम में आठ भाषाओं के कवियों ने अपनी कविताएं मूल भाषा के साथ-साथ हिंदी अथवा अंग्रेजी अनुवाद में सुनाईं. कार्यक्रम के आरंभ में अकादमी के विशेष कार्याधिकारी देवेंद्र कुमार देवेश ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि भाषाओं और उनके साहित्य में शब्द-संपदा तथा साहित्य-संवेदना के आदान-प्रदान से सद्भाव के जिस परिदृश्य का निर्माण होता हैउसके लिए अकादमी आरंभ से सतत प्रयत्नशील रही है. 
प्रतिभागी कवियों में अनुपम कुमार (असमिया)तृणा चक्रवर्ती (बाङ्ला)गगनदीप शर्मा (पंजाबी)सत्या अशोकन (तमिल)राजेंद्र मेहता (गुजराती)यशोदा मुर्मु (संताली)दिविक रमेश (हिंदी) एवं पी. पी. श्रीवास्तव 'रिंद' (उर्दू) शामिल थे. पंजाबीगुजराती एवं उर्दू के कवियों ने गजलरूबाई तथा मुक्त छंद की कविताएँ सुनाईंवहीं अन्य कवियों ने मुक्त छंद में अपनी कविताओं का पाठ किया. सत्या अशोकन की कविताएँ नारी संवदेना पर विशेष रूप से केंद्रित थींवहीं यशोदा मुर्मु की कविता में किसान एवं आदिवासी जीवन त्रासदी को रेखांकित किया गया था. दिविक रमेश ने कश्मीर से विस्थापन की वेदना पर आधारित अपनी कविता का पाठ श्रोताओं के विशेष आग्रह पर किया. कार्यक्रम में विभिन्न भाषाओं के लेखक एवं साहित्य प्रेमियों की उपस्थिति रहीजिनमें राजेंद्र प्रसाद मिश्र (ओड़िशा)रजिया (अंडमान)संतोष श्रेयांस (चेन्नै)मोहन हिमथाणीविज्ञान व्रतराधेश्याम तिवारीसोमदत्त शर्मा एवं अवधेश कुमार सिंह आदि प्रमुख थे