लखीमपुर खीरीः हिंदी कविताओं से हमेशा ही भारतीय ग्रामीण क्षेत्र गूंजता रहा है, तभी तो हमारे लोकगीत सदियों से एक से दूसरे, दूसरे से तीसरे गले से होते हुए आज तक जिंदा हैं. खीरी के हैदराबाद थाना क्षेत्र के सुहेला गांव के वाशिंदों ने इस संस्कृति को जिंदा रखते हुए, हनुमान मंदिर के जीर्णोद्वार और लोकार्पण के अवसर पर एक भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया. इस विराट कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कवि ओम नीरव ने की. पालिकाध्यक्ष मीनाक्षी अग्रवाल बतौर मुख्य अतिथि कार्यक्रम में उपस्थित हुईं. कवि सम्मेलन की शुरुआत गीतकार पवन बाथम की वाणी वंदना से हुई. इसके बाद ओज के कवि बलराम सरस ने पढ़ा-आदम परिंदा हो गया है, आज के इस दौर में, लंकेश जिंदा हो गया है, आज के इस दौर में. कवि देवेश दीक्षित के बोल थे-तुम्हारे साथ जो गुजरे जमाने याद आते हैं, मिलन के गीत वो मौसम सुहाने याद आते हैं. कहीं हंस-हंस कर लिखते थे कभी रो-रो के लिखते थे, तुम्हें भी क्या मिले वो खत, याद आते हैं.
कवयित्री गीता भारद्वाज ने पढ़ा- वाणी पुत्रों की कलम हूं मैं, सारे गामा का गान नहीं, भारत मां की हुंकार हूं मैं, वीणा की मधुरम तान नहीं. हास्य कवि वैभव सोमवंशी ने मोबाइल पर अपनी रचना पेश की- देखो जमाना आज कितना व्यस्त हो गया, ले एंड्रॉयड फोन उसी में मस्त हो गया. गीतकार पवन बाथम ने जिस गीत को गुनगुनाया, उसके बोल थे- एक तन्हाई है जो की जाती नहीं, आपको याद लगता है आती नहीं. आपकी शक्ल ने दिल में दस्तक यूं दी, मुझको कोई सूरत अब लुभाती नहीं. कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे ओम नीरव ने सुनाया-सीता सी वामा चाहें तो राम तुम्हें बनना होगा, करना है यदि राज ताज तो कांटों पर रखना होगा. इस कविअ सम्मेलन में जिन प्रतिष्ठित कवियों ने काव्य पाठ किया, उनमें कुलदीप ठाकुर, मधुकर शैदाई, कनक तिवारी, डॉ. वेदप्रकाश अग्निहोत्री आदि शामिल थे. इस मौके पर पियूष मिश्र, अमितांशु मिश्र, नानक चन्द्र वर्मा, काशी विश्वनाथ तिवारी, ज्ञानेन्द्र सिंह, मधु त्रिपाठी, जया अग्निहोत्री, जयप्रकाश अवस्थी, राममोहन मिर सहित इलाके के तमाम सम्मानित लोग व साहित्यप्रेमी शामिल थे.