नई दिल्लीः भारत उत्थान न्यास के तत्वावधान में आईटीओ स्थित हिंदी भवन में 'भारत के उत्थान में शिक्षा और साहित्य की भूमिका' विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इस संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में पद्मश्री डॉ. रमाकान्त शुक्ल ने शिरकत की. अध्यक्षता वृन्दावन शोध संस्थान के अध्यक्ष डॉ. आर. डी पालीवाल ने की और मुख्य वक्ता के रूप में भारत उत्थान न्यास के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुजीत कुन्तल मौजूद थे. इस मौके पर लेखिका निशा नंदिनी की पुस्तकों 'स्वामी विवेकानंद की प्रेरक कहानियां' और 'बच्चों को जीने दो' का लोकार्पण भी हुआ. इस दौरान एक और लोकार्पित पुस्तक 'शिक्षा, समाज और राजनीति' पर भी वक्ताओं ने गंभीर चर्चा की.
संगोष्ठी में वक्ताओं ने एक स्वर में यह माना कि साहित्य व शिक्षा के बिना किसी भी देश का विकास संभव नहीं. हमारा देश इस मामले में बेहद समृद्ध है. साहित्यकार और शिक्षक दोनों अपनी भूमिकाएं सही ढंग से निभा रहे. बावजूद इसके इस दिशा में लगातार प्रयास किए जाने की जरूरत है. इस अवसर पर लोकार्पित पुस्तकों के लेखक, मुख्य वक्ता के अलावा अन्य विशिष्ट अतिथियों ने भी अपने विचार व्यक्त किए. भारतीय उत्थान न्यास के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुजीत कुन्तल का कहना था कि इस राष्ट्रीय संगोष्ठी का उदेश्य भारत की शिक्षा एवं साहित्य के स्तर को बढावा देना था, और इसकी सफलता का अनुमान इसी से लगा सकते हैं कि इस उदेश्य से भारत के अनेकों राज्यों से 100 से भी अधिक शिक्षाविद् और साहित्यकारों ने भाग लेकर इसे सफल बनाया.