पटनाः बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन ने हिंदी के लिए कार्य कर रही 100 विदुषियों को एक साथ एक मंच पर आमंत्रित कर शताब्दी वर्ष को एक उत्सव के रूप में मनाया और उन्हें 'शताब्दी-सम्मान' से नवाजा. इस कार्यक्रम का उद्घाटन गोवा की राज्यपाल और साहित्यकार डॉ. मृदुला सिन्हा ने किया. महिला साहित्यकारों की इस उपस्थिति से गदगद डॉ. सिन्हा ने कहा कि भारत की विदुषियां पुरुषों से मुक्ति की नहीं, बल्कि प्रकृति और संस्कृति की कहानियां गढ़ती हैं. अनेक लोक गीतों का उदाहरण देते हुए उन्होंने भारतीय नारी की व्याख्या की और सभी को गोवा आने का निमंत्रण दिया. इस अवसर पर सम्मेलन ने अंडमान निकोबार से लेकर जम्मू-कश्मीर तक और उत्तर-पूर्व से लेकर पश्चिम तक, संपूर्ण भारत वर्ष से चुनी गई 100 विदुषियों को 'साहित्य सम्मेलन शताब्दी-सम्मान' से विभूषित किया. मुख्य अतिथि के रूप में उच्चतम न्यायालय की अवकाश प्राप्त न्यायाधीश ज्ञान सुधा मिश्र ने कहा कि साहित्य का प्रभाव हमारे जीवन के हर एक मूल्य पर पड़ता है. यह मानव जीवन को दिशा और रूप प्रदान करता है. विदुषियों का सम्मान अपनी अस्मिता के प्रति आदर प्रकट करना है. सम्मेलन अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने कहा कि बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन भारत की राष्ट्रभाषा को भारत की राजकीय भाषा का वास्तविक अधिकार दिलाने के लिए पूरे देश में नव-जागरण का ध्वज लेकर घूमेगा. इस आयोजन के माध्यम से देश को एक सूत्र में जोड़ा गया है.
इस अवसर पर जिसमें पहला सम्मान गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा को ही दिया गया. जिन वरिष्ठ साहित्यकारों ने अपने विचार व्यक्त किए उनमें मृदुला गर्ग, चित्रा मुद्गल, ममता कालिया, डॉ. शेषा राम, डॉ. अहिल्या मिश्र, शांति सुमन, शेफालिका वर्मा, डॉ. अनामिका, डॉ. राजलक्ष्मी कृष्णन खास थे. अतिथियों का स्वागत सम्मेलन के उपाध्यक्ष नृपेंद्र नाथ गुप्त और धन्यवाद ज्ञापन प्रधानमंत्री डॉ. शिववंश पाण्डेय ने किया. मंच संचालन डॉ. शंकर प्रसाद ने और डॉ. भूपेन्द्र कलसी ने किया. उद्घाटन सत्र के बाद राष्ट्रीय कवयित्री सम्मेलन हुआ.महिला साहित्यकारों ने स्त्री के पारंपरिक और वर्तमान रूप के साथ परिवार-समाज में उनकी उपयोगिता पर कविताएं सुनाईं. सम्मानित शख्सियतों में डॉ. मृदुला सिन्हा, न्यायमूर्ति ज्ञान सुधा मिश्र, चित्रा मुद्गल, डॉ. मृदुला गर्ग, ममता कालिया, डॉ. शेषा राम, डॉ. अहिल्या मिश्र, शांति सुमन, शेफालिका वर्मा, डॉ. अनामिका, डॉ. राजलक्ष्मी कृष्णन, डॉ. वी जयलक्ष्मी, डॉ. एन लक्ष्मी, डॉ. पट्टपर्ति नाग पद्मिनी, सुधा कुमारी जूही, कल्पना सेनगुप्ता बरुआ, तुलिका चेतिया येइन, जेस्त्रि बोरो, डॉ. मधु चतुर्वेदी, डॉ. वसंती मठपाल, कुसुम भट्ट, रंजीता सिंह, डॉ. मधु भारद्वाज, डॉ. प्रभा दीक्षित, डॉ. सुचिता वर्मा, डॉ. कमल मुसद्दी, डॉ. किरण त्रिपाठी, इला कुमार, डॉ. व्यंजना शुक्ल, सुशीला झा, डॉ. उषा रानी राव, प्रो. लता चौहान , डॉ. एस तंकमणि अम्मा, डॉ. के वनजा, डॉ. पी राधिका, डॉ. रानू मुखर्जी, प्रो. नलिनी पुरोहित, डॉ. नयना डेलीवाला आर, डॉ. बीना बुदकी, डॉ. महुआ मांझी, डॉ. यशोधरा राठौर, डॉ. त्रिपुरा झा, डॉ. कविता विकास, डॉ. सुष्मिता पांडेय, निर्मला पुतुल, डॉ. गीता गंगोत्री, नंदा पाण्डेय, सत्या शर्मा, डॉ. शकुंतला मिश्र, बीना श्रीवास्तव, डॉ. तारामणि पाण्डेय, उमा सिंह किसलय, डॉ. संध्या प्रेम, प्रो. आभा भारती, डॉ. टी श्रीलक्ष्मी, संतोष गर्ग, डॉ. तनुजा मजूमदार, कावेरी राय चौधरी, सुजाता शाहा, डॉ. उर्मिला साव, डॉ. मधु शुक्ला, अनिता आनंद मुकाती, डॉ. हेग्रुजम रंजीता, सविता सिंह, आरती पुण्डीर, डॉ. चुकी भूटिया, डॉ. सोनम ओंगमु भूटिया, प्रो. दीप्ति शर्मा त्रिपाठी, डॉ. मनजीत कौर, प्रो. प्रेमा झा, प्रो. उषा सिंह, डॉ. लावण्य कीर्ति सिंह, डॉ. रश्मि रेखा, डॉ. जनकमणि, आशा प्रभात, डॉ. वीणा रानी श्रीवास्तव, डॉ. पूनम सिंह, डॉ. तारा सिन्हा, डॉ. शहनाज़ फ़ातमी, डॉ. गीता शौ पुष्प, डॉ. विभा माधवी, डॉ. प्रेमलता मिश्र, अंज़ु दास, पंखुरी सिन्हा, कालिंदी त्रिवेदी, डॉ. भावना शेखर, डॉ. कुमारी पूनम सिन्हा, डॉ. पूनम कुमारी, डॉ. नीलम श्रीवास्तव, डॉ. गीता द्विवेदी, डॉ. पुष्पा गुप्ता, डॉ. प्रतिमा शर्मा, डॉ. शांति शर्मा, प्रो. उषा सिंह, डॉ. वंदना विजयलक्ष्मी, डॉ. उषा विद्यार्थी, डॉ.सुभद्रा वीरेंद्र, आराधना प्रसाद, डॉ. सुलक्ष्मी कुमारी और अन्नपूर्णा श्रीवास्तव शामिल हैं.