खगौल: सम्पूर्ण कल्याण विकास समिति के कार्यालय से जुड़े "शकुंतलम सभागार" में भारतेंदु हरिश्चंद्र जयंती के अवसर पर गोष्ठी का आयोजन किया गया। संस्था के अध्यक्ष इन्द्रजीत गोस्वामी ने महान साहित्यकार भारतेंदु हरिश्चंद्र की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए इन्द्रजीत गोस्वामी ने भारतेंदु हरिश्चंद्र की रचनाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा " उन्होंने अल्प आयु में ही बहुत सारे गदय और पदय की रचना कर डाली थी, जिसके किरदार आज भी समाज के हर तबके में विद्यमान है और इसलिए उनके रचे कथानक आज भी प्रासंगिक है। "
अम्बिका प्रसाद सिन्हा ने अपने संबोधन में कहा " मनुष्य को अपने कर्म और वचन पर सदैव खड़े उतरना चाहिए। जिससे अंतरात्मा में सदैव सत्य का बोध होता रहे।" विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि मैं उनकी रचनाओं से इतना प्रभावित हुआ कि "अंधेर नगरी चौपट राजा टके सेर भाजी टके सेर खाजा" को ग्यारह बार मंचित किया। मिथिलेश कुमार पाण्डेय ने अपने संबोधन में उनको आधुनिक साहित्य के जनक के तौर पर रेखांकित किया।
संस्था के महासचिव ज्ञानी प्रसाद ने कहा " मात्र पांच साल की उम्र में मां का देहांत हो गया और कुछ ही साल बीते हुए कि सिर से पिता का साया भी छिन गया। तब सुखी संपन्न परिवार में दाई नौकर के हाथों लालन-पालन हुआ। उन्होंने साहित्य जगत को एक नई दिशा दी । उन्होंने कम समय में ही अपनी रचनाओं से तमाम साहित्यकारों, बड़े-बड़े विद्वानों को अपनी ओर आकर्षित किया।"
सभागार में उपस्थित गणमान्य एवं कलाकारों में विजय कुमार सिन्हा, अम्बिका प्रसाद सिन्हा, मिथिलेश कुमार पाण्डेय, दीपनारायण शर्मा'दीपक', सुरेश विश्वकर्मा, इन्द्रजीत गोस्वामी, ज्ञानी प्रसाद, चन्द्रदेव प्रसाद, देवानंद, बादल कुमार, लक्ष्मण अकेला, सूरज कुमार, ललित किशोर प्रणामी, बादल कुमार ,सिकंदर राम, मास्टर आदित्य'मंजीत', श्रेया गोस्वामी आदि शामिल थे।