नई दिल्लीः पूरा अगस्त ही हिंदी कवियों के लिए जश्ने आजादी का माह है. इसीलिए 'आओ गुनगुना लें गीत' समूह द्वारा देशभक्ति के गीतों से ओत प्रोत एक राष्ट्रीय कवि सम्मेलन ऑनलाइन आयोजित किया गया. रचनाकारों ने देश की रक्षा की बलिवेदी पर कुर्बान शहीदों को श्रद्धांजलि दी और राष्ट्रीय एकता की भी अच्छी प्रेरणा दी. कवि सम्मेलन के अध्यक्ष प्रसिद्ध छंद शिल्पी बृजेन्द्र हर्ष थे. समूह के संरक्षक डॉ जय सिंह आर्य ने स्वागताध्यक्ष की भूमिका अदा की. मुख्य अतिथि थे आकाशवाणी दिल्ली के कार्यक्रम निदेशक रामावतार बैरवा. सानिध्य अतिथि केसर शर्मा, विशिष्ट अतिथि मनोज मिश्र कप्तान, विनय प्रताप सिंह और संयोजक भारत भूषण वर्मा थे. प्रीतम सिंह प्रीतम ने सम्मेलन का जोशीला और रोचक संचालन किया. सुषमा सवेरा ने शास्त्रीय संगीत में निबद्ध सरस्वती वन्दना प्रस्तुत कर कवि सम्मेलन की शुरुआत की.
 इसके बाद बृजेन्द्र हर्ष ने अपनी कविता से देश भक्ति की जो अलख जगाई वह कार्यक्रम की समाप्ति के बाद भी जलती रही. उन्होंने सुनाया, “ऐ हम वतन, हमराज सुनो मेरे हम सफर.
लग जाये देश को ना कोई भी नजर…डॉ जय सिंह आर्य ने एकता के सूत्र में बांधते हुए पढ़ा, “बाद में हिंदू, सिख या मुसलमान हैं.
सबसे पहले तो इंसान हैं, इंसान हैं…
केसर शर्मा कमल ने अपनी कवताओं में बलिदानियों की तस्वीर खींची,

सिर पर लटकी थीं तलवारें, तन पड़ती कोड़ों की मारें.
 हंस झूले फांसी के फंदे, झुकवा दी गोरी सरकारें…
कार्यक्रम में आकाशवाणी दिल्ली के रामावतार बैरवा ने राष्ट्र को समर्पित कई रचनाएं सुनाईं, “बादल जितनी साजिश कर ले, सात समन्दर पार से.
ये रंग बासन्ती नहीं मिटेगा, धरती के रुख़सार से…
मनोज मिश्र कप्तान ने अपनी मधुर और ओजस्वी वाणी में पढ़ा

चूमकर माटी वतन की खेल जायें जान पर.
फिर कहां से आंच आये भारती की शान पर…
मां, बहन, बेटा, बहू, बापू सबों की आस था,
जान सबकी ही टिकी थी उस अकेली जान पर…
विनय प्रताप सिंह ने अपनी वीर रस की कविताओं से देश भक्ति का संचार किया, वहीं भारत भूषण वर्मा भी पीछे नहीं रहे. उन्होंने पढ़ा, “बड़े जोशीले वीर थे जो देश के लिए लड़े.
 स्वराज्य की बलिवेदी पर आहुति बन चढ़े…
संचालक प्रीतम सिंह प्रीतम ने श्रद्धांजलि गीत के साथ-साथ राष्ट्रध्वज को समर्पित गीत भी सुनाया, “भारती का मान स्वाभिमान तिरंगा,
आन मेरी, शान मेरी, जान तिरंगा,
उडान तिरंगे की कौन रोक सकेगा?
ईसाई, सिख, हिंदू, मुसलमान तिरंगा…
सुषमा सवेरा ने शौर्य गीत कुछ यों सुनाया, “दुश्मन का शीश झुकाकर मां! मैं तेरा मान बढ़ाऊंगा.
तू गर्व करेगी मुझ पर मां! मैं जंग जीतकर आऊंगा…
इनके अतिरिक्त अतुल त्रिपाठी, चंद्रशेखर मयूर, रचना सिंह वानिया, नरेश लाभ, श्री कृष्ण निर्मल, सन्तोष त्रिपाठी, अनुराग कश्यप, अनिल धीमान पोपट कामचोर, आर जे योगी, डॉ कल्पना पाण्डेय आदि ने भी बेहतरीन कविताएं सुनाईं.