दिल्ली: हिंदी दिवस के अवसर पर दैनिक जागरण के आयोजनों की शृंखला में राष्ट्रीय शिक्षा नीति और भारतीय भाषाएं विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया था। इसमें शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के अखिल भारतीय मंत्री अतुल कोठारी ने अपने विचार रखे। अतुल कोठारी ने माना कि भारतीय भाषाओं में पाठ्यक्रमों को तैयार करना कठिन है लेकिन अगर समग्रता से कोशिश की जाए तो इसको शीघ्र तैयार किया जा सकता है। उनके मुताबिक स्कूलों से अधिक उच्च शिक्षा का भारत केंद्रित पाठ्यक्रम तैयार करना कठिन है। उनके मुताबिक हमारे यहां टुकड़ों में सोचने की आदत सी हो गई है और अगर ये बदला जा सका तो काम आसान हो जाएगा। पाठ्यक्रम बनाने वालों में समग्र सोच का विकास करना होगा।

उन्होंने भारतीय भाषाओं में अनुवाद के माध्यम से पाठ्य सामग्री तैयार करने का सुझाव दिया। उनके मुताबिक इस वक्त हमारे देश में 40 केंद्रीय विश्वविद्यालय हैं और करीब 850 राज्य विश्वविद्यालय हैं। अगर इन सभी विश्वविद्यालयों को हर वर्ष 10 पुस्तकों के अनुवाद का काम सौंप दिया जाए तो साल भर में करीब नौ हजार पुस्तकें अलग अलग भाषाओं में तैयार हो सकती हैं। अतुल कोठारी के मुताबिक राष्ट्रीय शिक्षा नीति का अपने विचार, बौद्धिकता और कार्यव्यवहार में भारत केंद्रित है। उन्होंने माना कि इस शिक्षा नीति में अगर एक भारतीय भाषाओं के विश्वविद्यालय की परिकल्पना होती तो बेहतर होता। दैनिक जागरण की तरफ से ये आयोजन हिंदी को समृद्ध करने के अभियान हिंदी हैं हम के तहत था।