नई दिल्लीः विद्यालय भले ही बंद हैं, पर न तो कवियों की आवाज बंद है न ही छात्रों की उमंग. इसीलिए जश्ने आजादी की लौ केवल पंद्रह अगस्त की जश्ने आजादी तक ही सीमित नहीं है, बल्कि राष्ट्र के संघर्ष की गाथा का गान आज भी जारी है. हालांकि 74 वर्ष पूर्व मिली आजादी यह याद दिलाती है कि हमारे संघर्ष की गाथा बहुत बड़ी है. अदिति महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ ममता शर्मा ने इन विचारों के साथ ऑनलाइन मंच पर महाविद्यालय के शैक्षणिक व गैर शैक्षणिक स्टॉफ तथा छात्राओं के लिए विभिन्न गतिविधियों के साथ ही ऑनलाइन कवि सम्मेलन का भी आयोजन किया. राष्ट्रभक्ति की भावना से ओतप्रोत इस कवि सम्मेलन का संचालन साहित्य परिषद से जुड़े गीतकार डॉ जयसिंह आर्य ने किया. इस अवसर पर संस्कार भारती से जुड़े राजेश चेतन ने अपनी रचना 'बनवासी राम' सुनाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया. इस कवि सम्मेलन की अध्यक्षता अखिल भारतीय साहित्य परिषद उ.प्र के चेयरमैन विजय त्रिपाठी ने की.
डॉ विनम्र सेन ने अपनी बुलंद आवाज़ व राष्ट्र व देशभक्ति की कविताओं से सभी में देश प्रेम का जोश भर दिया, तो डॉ जयसिंह आर्य ने 'रफाल' पर लिखा अपना गीत सुनाया, जिसके बोल थे, बैरियों का काल आ गया, देश में रफाल आ गया.' इस अवसर पर महाविद्यालय की छात्राओं ने भी राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता से संबंधित स्वरचित कविताओं का भी पठन किया. महाविद्यालय की सांस्कृतिक कमेटी की संयोजिका डॉ नीरजा नागपाल ने कहा कि जश्ने आजादी का संदेश यही है कि भारत के लोगों को आपसी मतभेद भुलाकर देश के नवनिर्माण की योजना में जुटना चाहिए. सह-संयोजिका डॉ मनीषा वाधवा ने भी अपने विचार व्यक्त किए. याद रहे कि डॉ जयसिंह आर्य की कविता 'रफाल आ गया' ने इन दिनों काफी धूम मचा रखी है. यह कविता ऑनलाइन तो वह सुनाते ही हैं, अब प्रातःकाल सोशल डिस्टेंसिंग के साथ चलने वाले योगा-ताली समूह में भी सुने जा रहे हैं. शंभू कुंवर सिंह नगर नई दिल्ली ने उन्हें विशेष रूप से इस काव्य पाठ के लिए आमंत्रित किया, जहां सभी सदस्यों ने सामान्य दूरी का पालन करते हुए आर्य के नए गीत को सुनकर उनकी सराहना की.