फतेहपुरः स्थानीय कलेक्टरगंज के राजस्थानी रेस्टोरेंट में आयोजित एक अनौपचारिक कार्यक्रम में पिछले दिनों बृजेश नीरज के काव्य संग्रह 'आँख भर आकाश' का लोकार्पण किया गया. इस अवसर पर बृजेश नीरज ने प्रकाशित संग्रह की कुछ रचनाओं का पाठ किया. पत्रकार अरुण सिंह ने कहा कि कविता में लय का होना अत्यन्त आवश्यक है वही कविता याद रहती है जिसमें लय हो. आज लिखी जा रही उन कविताओं में लय का संकट है जो सघन अनुभूतियों के फलस्वरूप स्वतः उत्पन्न न होकर 'कंस्ट्रक्ट' की जा रही हैं. युवा आलोचक अजीत प्रियदर्शी का कहना था कि कविता में शब्द-संगति और अर्थ-संगति ही लय उत्पन्न करती हैं. कविता एक स्वानुभूत प्रक्रिया है इसे सिखाया नहीं जा सकता.
अपूर्व सेन राज का कहना था कि आजकल लिखी जा रही छान्दसिक कविताओं के कथ्य पर प्रश्न उठाते हुए कहा कि कविता केवल शिल्प नहीं है. कविता तभी महत्वपूर्ण होती है जब सुगठित शिल्प के साथ उसका कथ्य महत्वपूर्ण हो. अनूप शुक्ल ने कहा कि कविता का समकाल से सम्बन्ध बहुत आवश्यक है. कविता में यदि आज का यथार्थ नहीं है तो कविता का कोई महत्त्व नहीं है. इस अवसर पर 'इंडिया इनसाइड' पत्रिका के सेल काउंटर का शुभारम्भ भी किया गया. समारोह में युवा आलोचक अजीत प्रियदर्शी, इंडिया इनसाइड पत्रिका के सम्पादक अरुण सिंह, महात्मा गांधी महाविद्यालय, फतेहपुर के असिस्टेंट प्रोफेसर अपूर्व सेन राज, अनूप शुक्ल, आशुतोष श्रीवास्तव, युवा कवि प्रेम नंदन और बृजेश नीरज सहित फतेहपुर के कई साहित्य प्रेमी उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन व संयोजन युवा कवि प्रेम नंदन ने किया.