भोपालः लोकगीतों में लोकमिठास होती है, और अगर उसमें सुरीली आवाज और सुर का सम्मिश्रण हो जाए तो फिर कहना ही क्या? मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय सभागार में गायन, वादन एवं नृत्य गतिविधियों पर केंद्रित श्रृंखला 'उत्तराधिकार' के तहत 'बुंदेली जसगीत' का ऐसा ही एक शानदार कार्यक्रम हुआ. इस कार्यक्रम की शुरुआत जबलपुर की शिल्पी परिहार ने अपने साथी कलाकारों के साथ 'बुंदेली जसगीत' से किया. उन्होंने गायन की शुरुआत देवी गीत 'छुम-छुम छननन बाजे' प्रस्तुत कर की. इसके बाद कलाकारों ने 'अ रा रा रा मैया रण में चली' और 'मोरी सुनियों अरज शारदा मां' गीत प्रस्तुत कर सभागार में मौजूद श्रोताओं को अपने गायन कौशल से मोह लिया. इसके बाद कलाकारों ने 'कबूतर ले जा रे' और 'गजब करों मैया बब्बर शेर तुम्हारो' गीत प्रस्तुत किये.
शिल्पी परिहार ने साथी कलाकारों के साथ 'तुम आन बस एई गाँव' और 'छनन बाजे पैजनियाँ' गीत प्रस्तुत करते हुए अपनी गायन प्रस्तुति को विराम दिया. गायन प्रस्तुति के दौरान शिल्पी परिहार का साथ गायन में रोशन शर्मा और शिवानी राजपूत ने, हारमोनियम पर राजेश विश्वकर्मा ने, तबले पर सतीश विश्वकर्मा ने, ढोलक पर सुवित खरे ने और झांझ पर मनीष कुमार लखेश और राजेंद्र राजपूत ने दिया. शिल्पी परिहार लम्बे समय से गायन के क्षेत्र में सक्रीय हैं. शिल्पी परिहार ने गायन की कई प्रस्तुतियां देश के विभिन्न कला मंचों पर दी हैं. याद रहे कि मध्य प्रदेश संस्कृति मंत्रालय के तहत आने वाला मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय लोकजीवन, संस्कृति, साहित्य, कला, नृत्य को बढ़ावा देने की दिशा में ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन करता ही रहता है.