पटनाः बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन अपने 100वें स्थापना दिवस समारोह को बेहद धूमधाम से मनाने जा रहा है. 17 दिसंबर को बिहार के राज्यपाल लालजी टंडन सम्मेलन के 100वें स्थापना दिवस समारोह का उद्‌घाटन करेंगे. इस हिन्दी साहित्य सम्मेलन की स्थापना सन 1919 ई. में डॉ राजेंद्र प्रसाद की विशेष पहल व लक्ष्मी नारायण सिंहमथुरा प्रसाद दीक्षितबाबू वैद्यनाथ प्रसाद सिंहपीर मोहम्मद यूनिसलतीफ हुसैन नटवर और पंडित दर्शन केशरी पांडेय के प्रयास से मुजफ्फरपुर के हिन्दू भवन में अक्टूबर 1919 में जगन्नाथ प्रसाद के सभापतित्व में हुई थी. बाद में यह पटना आ गया. यह साहित्य सम्मेलन प्रारंभ से ही हिन्दी साहित्य जगत की बड़ी विभूतियों का गढ़ रहा है. स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े सारे बड़े नेता यहां आते थे. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद समेत कई बड़ी विभूतियां साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष पद को सुशोभित करते रहे. वर्तमान में डॉ. अनिल सुलभ इसके अध्यक्ष हैं. 
डॉ. अनिल सुलभ ने पत्रकारों से बात कर बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के सौवें साला जलसे के आयोजन की जानकारी दी. उनके मुताबिक सौवें स्थापना दिवस के मौके पर बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन अपनी सर्वोच्च मानद उपाधि 'विद्या-वाचस्पतिअलंकरण से राज्यपाल लालजी टंडन को विभूषित करेगा. इस मौके पर गीतकार सत्य नारायणसाहित्य सेवी प्रो. अमरनाथ सिन्हाडॉ. खगेंद्र ठाकुर समेत कई विशिष्ट विद्वानों को 'साहित्य सम्मेलन शताब्दी-सम्मानसे विभूषित किया जाएगा. इस मौके पर राज्यपाल लालजी टंडन बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के वार्षिक कैलेंडर का लोकार्पण भी करेंगे. समारोह के दौरान कई विद्वानों की लिखी पुस्तकों का भी लोकार्पण होगा. इस समारोह में साहित्य सम्मेलनप्रयाग के अध्यक्ष डॉ. सूर्य प्रसाद दीक्षितसांसद डॉ. सीपी ठाकुरसांसद आरके सिन्हाप्रो. शशि शेखर तिवारी समेत अनेक विद्वान भाग लेंगे.  पत्रकारवार्ता के दौरान सम्मेलन के उपाध्यक्ष नृपेंद्र नाथ गुप्तडॉ. शंकर प्रसादडॉ. मधु वर्मासम्मेलन के प्रधानमंत्री डॉ. शिववंश पाण्डेययोगेन्द्र प्रसाद मिश्रराज कुमार प्रेमीप्रो वासुकी नाथ झाआचार्य आनंद किशोर शास्त्रीडॉ. शालिनी पांडेय आदि उपस्थित थे.