पटनाः बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन ने देश के विभिन्न क्षेत्रों से चुने गए 100 विद्वानों को एक भव्य आयोजन कर 'शताब्दी सम्मान' प्रदान किया. समारोह का उद्घाटन करते हुए हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य ने किया. उन्होंने कहा कि इतिहास में शासकों ने राज करने के लिए वहां की भाषा को नष्ट किया और अपनी भाषा थोपी. अंग्रेजों ने हिंदी को काफी नुकसान पहुंचाया. बाबा साहेब अंबेडकर हमेशा कहते थे शिक्षित बनो, संगठित हो और संघर्ष करो. 'सत्यार्थ प्रकाश' की चर्चा करते हुए राज्यपाल ने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती ने अपनी पुस्तक को जन-जन तक पहुंचाने के लिए उसे हिंदी में प्रकाशित कराया. कार्यक्रम के आरंभ में बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने सत्यदेव नारायण आर्य को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद हिंदी सेवा सम्मान से सम्मानित किया. अनिल सुलभ ने कहा कि यह आयोजन हिंदी के माध्यम से संपूर्ण देश को एक सूत्र में जोड़ने की कोशिश है.

शताब्दी-सम्मान से विभूषित होने वाले हिंदी लेखकों में प्रो सूर्य प्रसाद दीक्षित, प्रो गिरीश्वर मिश्र, प्रो. शशिशेखर तिवारी, डॉ केशरी लाल वर्मा, डॉ नंद किशोर पाण्डेय, डॉ व्यास मणि त्रिपाठी, प्रो. एस एम इक़बाल, डॉ भूपेन्द्र नाथ रायचौधरी, प्रो सुरेश चंद्र, प्रो प्रदीप कुमार शर्मा, डॉ तारो सिन्दिक, अपर सुबनसीरी, प्रो. हरीश कुमार शर्मा, अरुण कुमार उपाध्याय, डॉ सदानंद दीक्षित, पं सुरेश नीरव, डॉ सभापति मिश्र, डॉ सुरेश अवस्थी, डॉ अशोक अंजुम, राजेश अरोड़ा 'शलभ', डॉ गंगेश गुंजन, डॉ सिकन्दर लाल, प्रकाश मिश्र, डॉ कौशलेंद्र पाण्डेय, नीरज कुमार नैथानी, कालिका प्रसाद सेमवाल, डॉ विष्णु राजाराम देवगिरि, डॉ संजय मादार, डॉ. रणजीत कुमार, डॉ एमएस मुरलीधरन, डॉ पीए राधाकृष्णन, डॉ केशुभाई देसाई, शरद अरविंद जोशी, डॉ. हरीश द्विवेदी, शंकर भाई एस, महेंद्र जैन, देवेंद्र गोयल मांझी, डॉ विनय शील गौतम, डॉ अग्नि शेखर, ईश्वर करूण, डॉ पीआर वासुदेवन, डॉ सुंदरम पार्थसारथी, डॉ के मुरली,देवा प्रसाद मयला, एन आर श्याम, शुभ्रांसु दाम, नीधीश त्यागी, आमोद कुमार अग्रवाल, प्रो विनोद तनेजा, जे एस कृष्णमूर्ति, डॉ जे सुरेंद्रन, डॉ सुब्रत लाहिड़ी, दाऊलाल कोठारी, रावेल पुष्प, तपेश भौमिक, थिंगजम श्याम किशोर, डॉ श्याम सुंदर दुबे, डॉ शम्भु सिंह 'मनहर', उमाशंकर मनमौजी, डॉ लक्ष्मण शर्मा 'वाहिद', डॉ पुरुषोत्तम नारायण सिंह, प्रो. संजय कुमार, विशाल के सी, प्रो हितेंद्र कुमार मिश्र, डॉ राम गोपाल चतुर्वेदी, डॉ भगवान मकरंद, श्याम प्रकाश देवपुरा, अमर बानियां 'लोहोरो', डॉ प्रदीप त्रिपाठी, टीसी सावन, डॉ सूर्य प्रकाश अग्रवाल, डॉ अशोक प्रियदर्शी, डॉ कामेश्वर प्रसाद श्रीवास्तव 'निरंकश', डॉ'. हरिवल्लभ सिंह 'आरसी', डॉ जंगबहादुर पाण्डेय, डॉ अरुण सज्जन, हिमकर श्याम, जय नंदन, नरेश अग्रवाल, डॉ हरेराम त्रिपाठी चेतन, डॉ श्रवण कुमार गोस्वामी शामिल थे.

इस अवसर पर बिहार के जो लेखक सम्मानित हुए उनमें डॉ खगेंद्र ठाकुर, सत्य नारायण, डा एसएनपी सिन्हा, प्रो अमरनाथ सिन्हा, डॉ शिवदास पाण्डेय, प्रो पृथ्वी चंद्र झा 'महीन्दु', डॉ सत्येंद्र अरुण, राम उपदेश सिंह 'विदेह', डॉ सच्चिदानंद प्रेमी, डॉ जनार्दन मिश्र, अवधेश कुमार आशुतोष, रमण शांडिल्य, रिपुदमन श्रीवास्तव, डॉ चंद्र मणि झा, डॉ तारकेश्वर सिंह, डॉ राम निरंजन परिमलेन्दु, डॉ शुकदेव सिंह, डॉ नचिकेता, डॉ रामधारी सिंह 'दिवाकर', डॉ रवींद्र उपाध्याय शामिल हैं. समारोह को हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ सूर्य प्रसाद दीक्षित, महात्मा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो गिरीश्वर मिश्र, रवि शंकर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो केशरीलाल वर्मा, केंद्रीय हिंदी संस्थान के निदेशक डॉ. नंद किशोर पाण्डेय और विश्वविद्यालय सेवा आयोग, बिहार के पूर्व अध्यक्ष प्रो शशिशेखर तिवारी ने भी संबोधित किया. अतिथियों का स्वागत सम्मेलन के उपाध्यक्ष नृपेंद्र नाथ गुप्त ने और धन्यवाद ज्ञापन प्रधानमंत्री डॉ. शिववंश पाण्डेय ने किया. संचालन डॉ शंकर प्रसाद व डॉ भूपेन्द्र कलसी ने संयुक्त रूप से किया. दोपहर में संगोष्ठी और शाम में राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ. वरिष्ठ कवि पं सुरेश नीरव की अध्यक्षता में राष्ट्रीय कवि-सम्मेलन आयोजित हुआ, जिसमें शताब्दी-सम्मान से विभूषित कवियों ने अपनी कविताओं से श्रोताओं को भाव-विभोर किया.