पटना: बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन और कलाकक्ष की ओर से काशीनाथ पांडेय की जयंती मनाई गई. इस अवसर पर सम्मेलन अध्यक्ष डॉ अनिल सुलभ ने बताया कि हिंदी काव्य साहित्य में सबसे लम्बी कविता लिखने वाले महाकवि काशीनाथ पाण्डेय अद्भुत काव्य-प्रतिभा संपन्न एक ऐसे प्रयोगधर्मी कवि थे, जिन्हें 'अक्षर-पुरुष' कहा जा सकता है. वे एक महान भाषाविद थे. उन्हें अक्षरों के भी अर्थ ज्ञात थे और अनेक भाषाओं का भी गहरा ज्ञान था. 'बयाने-क्रौंच ताईर' नामक उनकी एक कविता तीस हज़ार छः सौ नब्बे पंक्तियों की है, जो एक विश्व कीर्तिमान है. इस कविता में उनके विशद भाषा ज्ञान और विविध भाषाओं के अद्भुत प्रयोग के सामर्थ्य को भी देखा जा सकता है. उनके शब्द और अर्थ-बोध भी चमत्कारिक हैं. डॉ सुलभ ने कहा कि पाण्डेय के विपुल साहित्य में उनके काव्य-कौशल और प्रतीक-प्रयोग के सौंदर्य को देखा और अनुभव किया जा सकता है. समारोह के मुख्य अतिथि तथा विश्वविद्यालय सेवा आयोग, बिहार के अध्यक्ष डॉ राजवर्द्धन आज़ाद ने कहा कि महाकवि काशीनाथ पाण्डेय के महान साहित्यिक व्यक्तित्व से नई पीढ़ी को अवगत कराया जाना चाहिए. सम्मेलन की ओर से बिहार विधान परिषद की पूर्व सदस्य प्रो किरण घई सिन्हा ने कहा कि महाकवि काशीनाथ पाण्डेय को जब भी स्मरण करती हूं तो 'कबीर' स्मरण होते हैं, जो बनी बनाई लीक पर नहीं चले अपनी अलग लीक बनाई. पाण्डेय  ने काव्य के पारंपरिक मार्ग से अलग हट कर नूतन मार्ग का निर्माण किया. उनके काव्य-पाठ में भी एक अनूठापन था. सम्मेलन के उपाध्यक्ष डॉ शंकर प्रसाद, डॉ कल्याणी कुसुम सिंह, डॉ ब्रज किशोर पाण्डेय, वरुण कुमार सिंह, कुमार अनुपम, राज कुमार प्रेमी ने भी अपने विचार व्यक्त किए.

इस अवसर पर, महाकवि की काव्य-साधना पर आयोजित व्याख्यान तथा काव्य-पाठ प्रतियोगिता भी संपन्न हुई, जिसमें विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्रगण तथा स्वतंत्र छात्र-छात्राओं ने भी भाग लिया. सफल प्रतिभागियों को पदक और प्रमाणपत्र देकर पुरस्कृत किया गया. सर्वाधिक 18 की संख्या में पदक प्राप्त होने के फलस्वरूप इस वर्ष की 'चलंत-विजय-स्मृतिका' पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के हाथ आई. इसके लिए एलपी शाही कॉलेज के छात्र नागमणि व उनकी टीम को सम्मानित किया गया. विश्वविद्यालय को तीसरी बार यह पदक मिला है. इसमें एलपी शाही कॉलेज के छात्रों का योगदान उल्लेखनीय रहा है. सम्मानित होने वाले छात्रों में कैप्टन नागमणि, भारती सिंह, कावेरी, रवि आर्यन, उज्जवल तिवारी और अभिषेक कुमार यादव शामिल हैं. इस प्रतियोगिता में से रवि आर्यन काव्य पाठ में द्वितीय जबकि अभिषेक कुमार को व्याख्यान में दूसरा स्थान प्राप्त हुआ है. नागमणि बताते हैं कि एलपी शाही कॉलेज पटना का एकमात्र कॉलेज रहा है, जिसकी पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय को ट्रॉफी दिलाने में अहम भूमिका रही है. कॉलेज के छात्रों की इस सफलता पर प्राचार्य सुनील कुमार उपाध्याय, हिंदी के प्राध्यापक ब्रजेश कुमार पांडेय ने भी खुशी जताई है. याद रहे कि कोरोना काल के बाद से विश्वविद्यालय और कॉलेज जब से खुले हैं, राज्य के हिंदी विभागों में साहित्यिक गतिविधियां बढ़ गई हैं और कई साहित्यिक संगठन इसमें सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं.