पटनाः डॉ उषा किरण खान बिहार साहित्य जगत की शान हैं. उनके 75वें जन्मदिन के उपलक्ष्य में महिला साहित्यकारों की संस्था आयाम, बिहार पुराविद् परिषद और मैथिली साहित्य संस्थान की ओर से 'अमृतोत्सव' कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में पद्मश्री से सम्मानित बिहार की गौरव डॉ उषा किरण खान के सम्मान में गीतसंगीत का भी आयोजन हुआ. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि की भूमिका में तो डॉ खान ही थी, पर उनका सम्मान करने के लिए साहित्य अकादमी से सम्मानित वरिष्ठ कथाकार चित्रा मुद्गल भी पहुंचीं. मुद्गल ने कहा कि महादेवी वर्मा के बाद डॉ उषा किरण खान ने 'भारत भारती' सम्मान प्राप्त कर देश की महिलाओं का मान बढ़ाया है.  मुद्गल का कहना था कि डॉ. खान ने अपने साहित्य में केवल स्त्री की देह की ही नहीं बल्कि उनके द्वारा समाज और राष्ट्र के निर्माण में उनकी भूमिका का भी वर्णन किया है, जिसमें ग्रामीण स्त्री भा प्रमुखता से उपस्थित है. शांति ओझा ने डॉ. खान को खोईंछ' देकर सम्मानित किया. पूर्व आईपीएस अधिकारी, लेखक व उषा किरण खान के पति रामचंद्र खान ने उनकी निजी जिंदगी से जुड़ी कई रोचक बातें बताईं.
मुख्य वक्ता पंचानन मिश्र ने 'दरभंगा के स्वतंत्रता सेनानी' विषय पर अपना व्याख्यान दिया. उन्होंने कहा कि 27 वर्ष की उम्र में जानकी देवी ने बहेड़ी थाना में तिरंगा फहराया था. प्रो. डॉ. रत्नेश्वर मिश्र ने कहा कि प्रो. खान ने अपने व्यक्तित्व और कृतित्व से नारीत्‍व की संप्रभुत्ताको स्थापित किया है. प्रो. डॉ लेखनाथ मिश्र, प्रो वासुकीनाथ झा, प्रो डॉ इं‍द्रकान्त झा, विवेकानंद झा, अंबरीष कांत, गया की प्रो नीलिमा सिन्हा, भूपेंद्र कलसी, मटुकनाथ आदि ने प्रो उषा किरण खान को बधाई दी. इस अवसर पर शोध पत्रिका 'मिथिला भारती' के छठे अंक और प्रो खान की पुस्तक 'हीरा डोम' का लोकार्पण भी किया गया. इसके अलावा प्रो. खान के जीवन पर आधारित एक वृत्त चित्र का प्रदर्शन किया गया. इसका निर्देशन सुनीता गुप्ता ने किया है. पूनम सिन्हा और राजू मिश्र ने अपनी गायिकी से उपस्थित श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. स्वागत भाषण आयाम की सचिव प्रो. वीणा अमृत, संचालन लेखिका भावना शेखर और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. शिव कुमार मिश्र ने दिया. अंत में डॉ. उषा किरण खान ने सभी के प्रति अपना आभार प्रकट किया.