उन्नीस सौ साठ और सत्तर के दशक में पूर्वांचल का शायद ही ऐसा कोई शख्स हो, जिसका बचपन हीरा और बुल्लू की लोकगायिकी से न प्रभावित हुआ हो. हीरालाल व बुल्लू की जोड़ी बहुत प्रसिद्ध थी. बुल्लू यादव में जहां गायन की चुहल बाज़ी थी, वहीं हीरालाल में गायन का गाम्भीर्य व खास क़िस्म की लयकारी. कुछ- कुछ द्रुत गति में बिरहा गायन. गायन के संग-संग लोहे या स्टील के खरताल का वादन. हीरालाल यादव भारत के श्रेष्ठतम भोजपुरी लोकगायकों में एक थे. उन्होंने बिरहा शैली को नया रूप दिया. समूचा भोजपुरी समाज उनकी कला का मुरीद रहा. वह ठेठ आदमी थे. उनकी जो प्रतिष्ठा राष्ट्रीय स्तर पर होनी थी, दुर्भाग्य से नहीं हो पाई. पर जितनी भी हुई, वे उससे कहीं ज्यादा के हक़दार थे. अनेक बिरहा -अखाड़ों के वे मूल में थे. उन्होंने बिरहा को 'बिरह' मात्र से निकाल कर समकालीन जीवन के कथ्य व रस की लोकमय अभिव्यक्ति बना दिया. उन्होंने बिरहा में अनेक धुनों का समावेश किया. पहपट, पंधारी, पूर्वी, चैती आदि को नये व पुराने समय का सेतु बना दिया. एक जमाना था जब उनकी गायकी से ऊर्जा लेकर सैकड़ों गायक गांव-गांव में विकसित हुए. वह अपने आप में एक संस्थान थे.
हीरालाल यादव की बिरहा गायकी में गहरी कथात्मकता रही. 'गोलिया बरसे चाहे गोलवा, पनिया बरसे या पथरवा, पहरू-पहरा पर खड़ा' पूरबिया बच्चों के प्रार्थना गीत की तरह बन गया था. कथा को नया विन्यास देना उनका वैशिष्ट्य रहा. जब भी बिरहा कार्यक्रम होता, लोग उनको पूरी रात, भोर तक सुनते थे. हजारों लाखों का मजमा. बदलते समाज को देखते हुए उन्होंने खड़ी बोली व भोजपुरी को एकाकार कर विविधता व नयापन लाने की कोशिश की. इसीलिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित बिरहा सम्राट हीरालाल यादव का 93 वर्ष की उम्र में जब निधन हुआ तो समूचा पूर्वांचल शोक में डूब गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हीरालाल के निधन पर शोक जताया. पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, 'पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित वाराणसी के बिरहा गायक श्री हीरालाल यादव जी के निधन की खबर से अत्यंत दुख हुआ. दो दिन पहले ही बातचीत कर उनका हालचाल जाना था. उनका निधन लोकगायकी के क्षेत्र के लिए अपूरणीय क्षति है. शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके प्रशंसकों और परिवार के साथ हैं.' उनके कद का अंदाज इससे भी लगाया जा सकता है कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हीरालाल यादव के घर पहुंच कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. जाहिर है हीरालाल यादव के निधन के साथ ही पूरबिया गीतों का एक हीरा चला गया. नमन!