पटना: गांधी संग्रहालय में पुस्तक ' हे राम' का लोकार्पण और " आज का भारत : बापू और भगत सिंह" विषय पर बातचीत का आयोजन किया गया था। रंगकर्मी  परवेज़ अख्तर के अलावा अरुण मिश्रा, व्यास जी, संजय कुमार सिंह  द्वारा संयुक्त रूप से पुस्तक का विमोचन किया गया।  इसके पहले हसन इमाम रचित पुस्तक के लोकार्पण समारोह में अपने संबोधन में नाट्य निर्देश परवेज़ अख्तर ने कहा " भारतीय उपस्थिति में राम के बाद बापू का जो आदर और सम्मान है वह और  किसी  का नहीं है। आज गांधी व भगत सिंह के प्रतीकों का गलत इस्तेमाल हो रहा है।"

बिहार आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के निदेशक व्यास जी ने  कहा कि " नफरत की राजनीति के खिलाफ है पुस्तक 'हे राम' । इसमें आज़ाद भारत के महत्वपूर्ण सवालों को खोलने की कोशिश की गई है। यह प्रतिरोध की रंगभाषा को गढ़ता है। संविधान में दर्ज असहमति के अधिकार को रोचक अंदाज़ में प्रकट करता है। भगत सिंह सपना देखते थे कि हर  आदमी तो मेहनत की रोटी और इज़्ज़त की ज़िंदगी  मिले।

सी.आई.टी. यू से जुड़े अरुण मिश्रा ने  अपने विचार प्रकट करते हुए कहा " 'है राम' गांधी और भगत सिंह के साम्राज्यविरोधी चेतना और संघर्ष को बखूबी खोलते हुए आज़ाद की लड़ाई के दौरान हासिल मूल्यों व मान्यताओं की सुरक्षा को रेखांकित करता है।"

सेमिनार की अध्यक्षता एस. बी.आई.एस. ए के पटना सर्किल के  संजय कुमार सिंह ने कहा " नाटक समाज और राष्ट्र को बेहतर बनाने का सांस्कृतिक औजार है। ' हे रामको गांव गांव ले जाने की जरूरत है।

कार्यक्रम को कला समीक्षक विनय कुमार ने भी संबोधित किया और कहा " विजुअल आर्ट से गांधी, भगत सिंह और आज़ादी के मूल्य गायब हैं। ये विषय आज भी नाटक व फिल्मों के जरिये आते हैं। 'हे राम' गांधी व भगत सिंह के मिलान बिंदुओं को साफगोई से रखता है।"

कार्यक्रम का संचालन राहुल कुमार व अमरेंद्र अनल ने किया। इस मौके पर वरिष्ठ रंगकर्मी विनोद कुमार, रविकांत सिंह, धर्मेश मेहता, मो.जानी, फादर जोश कलापुरा , मिथिलेश सिंह, अभय सिन्हा आदि मौजूद थे।