नई दिल्ली: साहित्य अकादमी द्वारा आयोजित 'साहित्योत्सव' का छठा एवं अंतिम दिन बच्चों के लिए खास रहा. बाल गतिविधियों के अंतर्गत कविता, कहानी लेखन प्रतियोगिता, कार्टून बनाने का सत्र, बाल साहित्यकारों के साथ बातचीत और बाल कहानियां सुनाने तथा बहादुर बच्चे के साथ संवाद जैसे कई आयोजन किए गए. बच्चों के लिए कहानी और कविता प्रतियोगिता जूनियर और सीनियर वर्गों में आयोजित की गई, जिसमें विभिन्न विद्यालयों से आए 300 से ज्यादा बच्चों ने भाग लिया. बच्चों को कार्टून बनाने का सत्र प्रख्यात कार्टूनिस्ट उदय शंकर के साथ किया गया तथा प्रख्यात बाल लेखक दिविक रमेश और रंजनीकांत शुक्ल ने बच्चों से बातचीत की. ज़ैबुन्निसा 'हया' ने बाल कहानी सुनाई.
इस समारोह के तहत ही 'भारत में प्रकाशन की स्थिति' विषय पर एक परिचर्चा का भी आयोजन किया गया, जिसका बीज वक्तव्य निदेशक, ग्लोबल एकेडेमिक पब्लिशिंग, ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस के सुगता घोष ने दिया. रमेश कुमार मित्तल, अशोक माहेश्वरी, बालेंदु शर्मा दाधीच, भास्कर दत्ता बरुआ, रामकुमार मुखोपाध्याय ने अपने आलेख प्रस्तुत किए. सभी कहना था कि प्रकाशन की स्थिति क्षेत्रीय भाषाओं में जरूर चिंताजनक है लेकिन उसे परस्पर अनुवादों की संख्या बढ़ाकर नियंत्रित किया जा सकता है. सभी ने क्षेत्रीय भाषाओं के स्तरीय साहित्य की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्हें केवल क्षेत्रीय कहकर प्रकाशित ना किया जाना इन भाषाओं के समृद्ध साहित्य से पाठकों को वंचित करना है.