आज बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय की पुण्यतिथि है. वह न केवल बांग्ला भाषा के महान साहित्यकार थे , बल्कि अपने उपन्यास आनंदमठ से उन्होंने विश्वव्यापी ख्याति अर्जित की. यह उपन्यास 1882 में बांग्ला भाषा में प्रकाशित हुआ. इसी से हमारा प्रसिद्ध राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् भी लिया गया है. बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय की शादी महज ग्यारह वर्ष आयु में ही हो गई थी. अपनी पहली पत्नी की मृत्यु के बाद , उन्होंने पुनर्विवाह किया. साल 1856 में उन्होंने कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया और 1857 के पहले स्वतंत्रता आंदोलन के दौर में प्रेसीडेंसी कालेज से बीए की उपाधि लेनेवाले वह पहले भारतीय बने. उन्होंने क़ानून की डिग्री भी हासिल की और पिता की आज्ञा का पालन करते हुए उन्होंने 1858 में ही डिप्टी मजिस्ट्रेट का पदभार संभाला और 1891 में सरकारी सेवा से रिटायर हुए. सरकारी नौकरी में होने के कारण बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय किसी सार्वजनिक आन्दोलन में प्रत्यक्षतः भाग नहीं ले सकते थे , पर उनका मन कचोटता था. अत: उन्होंने साहित्य के माध्यम से स्वतंत्रता आन्दोलन के लिए जागृति जगाई. उन्होंने मुस्लिम जमींदारों द्वारा गरीब हिंदुओं के शोषण पर भी कलम चलाई.  

बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय ने साल 1872 में मासिक पत्रिकाबंगदर्शनका भी प्रकाशन किया.बंगदर्शनने बंगाली पत्रिका का नया पर्व शुरू किया. यह कम लोगों को पता होगा कि गुरुदेव रबीन्द्रनाथ ठाकुर जैसे महान लेखक भीबंग दर्शनमें लिखकर ही साहित्य के क्षेत्र में आए. इसीलिए ठाकुर बंकिमचंद्र चटर्जी को अपना गुरु भी मानते थे. उनका कहना था कि, ‘बंकिम बंगला लेखकों के गुरु और बंगला पाठकों के मित्र हैं.बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय का पहला उपन्यासरायमोहन्स वाईफअंग्रेजी में था. साल 1865 में उनकी प्रथम बांग्ला कृतिदुर्गेशनंदिनीप्रकाशित हुई. उस समय उनकी उम्र केवल 27 वर्ष थी. फिर उनकी अगली रचनाएं 1866 में कपालकुंडला, 1869 में मृणालिनी, 1873 में विषवृक्ष, 1877 में चंद्रशेखर, 1877 में रजनी, 1881 में राजसिंह और 1884 में देवी चौधुरानी आईं. उन्होंनेसीताराम’, ‘कमला कांतेर दप्तर’, ‘कृष्ण कांतेर विल’, ‘विज्ञान रहस्य’, ‘लोकरहस्य’, ‘धर्मतत्वजैसे ग्रंथ भी लिखे.

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