नई दिल्लीः आओ गुनगुनाने गीत समूह ने ऑनलाइन कवि सम्मेलन का सफल आयोजन किया, जिसकी अध्यक्षता सुप्रसिद्ध छंद शिल्पी बृजेंद्र हर्ष ने की. ह्वाट्स एप समूह पर फूल पर आयोजित इस कवि सम्मेलन में मुख्य अतिथि की भूमिका निवेदिता चक्रवर्ती ने निभाई.
सान्निध्य महेंद्र माही का रहा. विजय प्रेमी विशिष्ट अतिथि थे. संचालन संजय जैन ने किया. डॉक्टर जय सिंह आर्य ने अतिथियों का स्वागत किया. सुषमा सवेरा की सरस्वती वंदना से कवि सम्मेलन का शुभारंभ हुआ. फूल की महिमा का बखान करते हुए बृजेंद्र हर्ष ने सुनाया, 'कांटों की चुभन से ही कमाते हैं हौसला, उपवन का अपने मान बढ़ाते हैं ये सुमन…' निवेदिता चतुर्वेदी ने वृक्ष पर सुनाया, 'मेरे बाबा के आंगन का हरसिंगार.'
इस कवि सम्मेलन के विषय को सार्थक करता महेंद्र माही का मुक्तक था, 'उसकी खुशबू को चुराना गुलाब में रखना, दौलत ए इश्क छुपाना किताब में रखना. प्यार करना कभी तो बेहिसाब ही करना, अपनी उम्मीद को लेकिन हिसाब में रखना…' डॉ जय सिंह आर्य के इस गीत में खूब तालियां बटोरी, 'फूल हूं मैं कंटको में मुस्कुराना है मुझे, प्राण दाता की शरण में आज जाना है मुझे…' विजय प्रेमी, प्रीतम प्रीतम, सुनील अरोड़ा तम्मी की रचनाएं भी खूब सराही गईं. इनके अतिरिक्त संतोष त्रिपाठी, कृष्ण निर्मल, आवरण अग्रवाल, डॉ सीमा विजयवर्गीय, पंकज चतुर्वेदी, सृष्टि, पंकज वासिनी की रचनाओं से भी लोग प्रभावित हुए.