नई दिल्ली: अपने दौर के सर्वाधिक उद्दाम या खुले लेखकों में से एक उर्दू के बड़े लेखक सआदत हसन मंटो के जीवन और रचनाओं पर बनी फिल्म 'मंटो' इनदिनों खूब चर्चा में है. खासकर साहित्य बिरादरी में इसे लेकर समीक्षा, सोशल मीडिया पर टिप्प्णी और गपशप जारी है. चर्चित अभिनेत्री नंदिता दास ने इसका निर्देशन किया है और मुख्य भूमिका में हैं नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी. फिल्म में लेखक मंटो के पारिवारिक जीवन के साथ उनकी कहानियों पर चले मुकदमों और उनके जीवन के अन्य पहलुओं को भी बारीकी से दिखाया गया है. साथ ही उस दौर को भी बखूबी उभारा गया है, जिसमें मंटो जीते-रहे. दिल्ली और एनसीआर में रहनेवाले बुद्धिजीवियों और सुधी दर्शकों के लिए 'मंटोकी स्पेशल स्क्रीनिंग राजकमल प्रकाशन समूह ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के आनन्द विहार स्थित पैसिफिक मॉल में कराई, जिसका उद्देश्य मंटो को लेखक और व्यक्ति के रूप में नजदीक से परिचित कराना था.

राजकमल प्रकाशन इस फिल्म का 'पब्लिशिंग पार्टनरहै. फिल्म प्रदर्शन के साथ ही राजकमल ने मंटो की पंद्रह चुनिंदा कहानियों का एक संकलन भी जारी किया, जिसे एक साथ हिंदी और अंग्रेज़ी में प्रकाशित किया गया है. इस संकलन के लिए कहानियों का चुनाव 'मंटोकी निर्देशक नंदिता दास ने किया है. प्रकाशक अशोक महेश्वरी के मुताबिक इन रचनाओं का चयन में नंदिता दास मंटो-दृष्टि का परिचायक है. यह किताब फिल्म के प्रोडक्शन हाउस तथा राजकमल के संयुक्त सहयोग से प्रकाशित हुई है. महेश्वरी ने कहा कि हमारे लिए यह गर्व की बात है कि हम पब्लिशिंग पार्टनर के रूप में मंटो के जीवन पर बनी इस फिल्म से जुड़े हैं. हमारा मानना है कि इस फिल्म और इस पुस्तक से मंटो को समझने में सहायता मिलेगी. राजकमल प्रकाशन के मार्केटिंग हेड अलिंद महेश्वरी ने कहा कि मंटो हमारे समय के लिए प्रासंगिक और प्रतिनिधि लेखक हैं, उन्हें अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाना हमारा उद्देश्य है. यह फिल्म इस दिशा में एक बड़ा कदम है. यही वजह है कि हम इस फिल्म को अपनी ओर से भी दर्शकों तक लेकर गए हैं. फिल्म-प्रदर्शन के साथ इन पुस्तकों की प्रदर्शनी भी की गई. लेखकों, समीक्षकों, साहित्य तथा सिने-प्रेमियों ने इस प्रदर्शन को सराहा और इस दौरान प्रख्यात लेखिका ममता कालिया जैसे लोग भी दिखे.