नई दिल्लीः पद्मश्री से सम्मानित प्रोफेसर श्याम नंदन किशोर की पांच खंडों में प्रकाशित रचनावली का लोकार्पण कार्यक्रम स्थानीय रवींद्र भवन सभागार में हुआ. इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में संस्कृत व हिंदी के विद्वान, कवि, लेखक और साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित प्रोफेसर राधा वल्लभ त्रिपाठी मौजूद थे. उन्होंने व समारोह में मौजूद अन्य वक्ताओं ने प्रोफेसर श्याम नंदन किशोर की रचनात्मक यात्रा को याद करते हुए इस रचनावली को विशिष्ट बताते हुए श्याम नंदन से जुड़े कई संस्मरणों को याद किया. इस अवसर पर राजधानी के कई नामीगिरामी साहित्यकार उपस्थित थे, जिनमें भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक रहे कवि लीलाधर मंडलोई, कवि मदन कश्यप, प्रोफेसर रेवती रमण, गीतकार लक्ष्मी शंकर वाजपेयी, राजीव शुक्ल, प्रो जीतेंद्र श्रीवास्तव, डॉ ओम निश्चल, प्रो गरिमा श्रीवास्तव, डा राजीव रंजन गिरि ने मूर्धन्य साहित्यकार श्याम नंदन किशोर के व्यक्तित्व व कृतित्व की चर्चा की.

याद रहे कि श्याम नंदन किशोर हिंदी साहित्य के मूर्धन्य कवि एवं विद्वान थे. वह बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति रहे और अंग्रेजी, इटालियन, रूसी, चेक आदि अनेक भाषाओं के ज्ञाता थे. उनके मुख्य काव्य-संग्रहों में 'शेफालिका, 'विभावरी, 'बंधूक, 'सूरजमुखी तथा 'कविश्री' शामिल है. 'इडा, 'गायत्री तथा 'सीता इनके महाकाव्य हैं. उन्हें पद्मश्री अलंकरण तथा 'नेहरू फेलोशिप से सम्मानित किया गया था. इस अवसर पर अनेक साहित्यकारों व प्रबुद्धजनों के बीच वरिष्ठ कथाकार ममता कालिया, अल्पना मिश्र, संगीता गुप्ता, रेखा अवस्थी आदि भी उपस्थित थीं.