पटना, कथा सम्राट मुंशी  प्रेमचंद की जयंती वर्ष के अवसर पर पटना में कई जगहों पर कार्यक्रम आयोजित किये गए। इन कार्यक्रमों में संगोष्ठी, सेमिनार, के अलावा कई नाटक भी प्रस्तुत किये गये। बिहार संगीत नाटक अकादमी और कला, संस्कृति युवा विभाग का संयुक्त आयोजन प्रेमचंद रंगशाला में  'स्मृति प्रेमचंद' के नाम से किया गया। इस अवसर पर  आयोजित परिचर्चा ' साहित्य का उद्देश्य ' पर  दिल्ली से निकलने वाली पत्रिका 'पाख़ी' के  संपादक प्रेम भारद्वाज ने कहा " साहित्य का पहला उद्देश्य सुंदर,स्वस्थ जीवन का निर्माण करना है। प्रेमचंद के कथा साहित्य में सिर्फ  किस्सा  नहीं है। प्रेमचंद साहित्य  के सौंदर्य बोध को बदल देते हैं। होरी है, धनिया, गोबर, हामिद जैसे सबाल्टर्न लोगों , हाशिये के लोगों को नायक बना देते हैं। ' ठाकुर का कुंआ' कहानी देखने की चीज  है। " 
‌प्रेम भारद्वाज की कहानी को आगे बढाते हुए चर्चित महिला कथाकार  उषा किरण खान ने कहा ' प्रेमचंद ने बेहद सुगम भाषा में कहानी लेखन किया। प्रेमचंद के वक्त जो समाज था , जो संस्थाएं थीं  वो काफी बदल गया है।"
‌प्रेमचंद रंगशाला में आयोजित इस परिसंवाद  का उदघाटन कला ,संस्कृति मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि ने किया।  उदघाटन वक्तव्य में मंत्री ने कहा " प्रेमचंद ने जो ज्ञान हमें दिया उसे हमें आगे बढ़ाना है।अपनी रचनाओं के जरिये किसान-मज़दूरों के दुख:दर्द को सामने तो लाये ही , भारतीय समाज की एक तस्वीर को भी सामने लाए।" इस अवसर पर दो नाटक ये 'दौड़ है किसकी' तथा 'रामलीला' का प्रदर्शन किया गया। इन दोनों का निर्देशन क्रमशः गौतम गुलाल और जहांगीर खान ने किया।  
‌उस मौके पर साहित्यकार रत्नेश्वर, विनोद अनुपम, जयप्रकाश, विनीत राय, डॉ श्रीराम तिवारी, विभा सिन्हा आदि मौजूद थे।
बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन में  आयोजित संगोष्ठी में प्रभारी अध्यक्ष नृपेन्द्रनाथ गुप्त ने  कहा "प्रेमचंद एक अध्यापक, लेखक व पत्रकार भी थे।  उन्होंने उर्दू में लिखना शुरू किया और हिंदी के कथा सम्राट बने।" डॉ वासुकी नाथ झा ने अपने संबोधन में कहा " प्रेमचंद की कहानियां स्वतंत्रता के भावों से भरी हुई है।आज़ादी के दौरान  सोज़े वतन को तो सरकार ने जब्त भी कर लिया था। " इस मौके पर डॉ मधु वर्मा, डॉ कल्याणी कुसुम सिंह, डॉ विनय कुमार विष्णुपुरी ने भी  सम्बोधित किया।
सोनपुर के उत्साह पूर्ण एवं प्रेरक वातावरण  में 'कविता स्मृति  अगस्त क्रांति सभागार'  के भरे हॉल में  प्रों.वीरेंद्र नारायण यादव, प्रो. लालबाबू राय ,प्रो. व्रजकुमार पांडेय और फणीश प्र.सिंह के साथ  प्रलेस के राष्ट्रीय महासचिव राजेन्द्र राजन ने प्रेमचंद की स्मृति को ताजा किया। ' वर्तमान समय और समाज '  के संदर्भ  में  सभी ने प्रेमचंद. की चर्चा की । 
आरा में 'प्रेमचंद के सपनों का समाज, देश और आज का संघर्ष ' विषय पर बातचीत हुई जिसे ' प्रलेस'के  रवींद्र नाथ राय, जलेस के नीरज सिंह व जसम के जीतेंद्र कुमार सहित कई लोगों ने संबोधित किया।