पटना: प्रगतिशील लेखक संघ की पटना इकाई ने प्रेमचंद के साहित्य पर जनशक्ति भवन के सभागार में चर्चा का आयोजन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ आलोचक डा. खगेंद्र ठाकुर ने की। "इस अँधेरे समय में प्रेमचंद" विषयक विचार-गोष्ठी का संचालन कवि राजकिशोर राजन ने किया। वहीं कविता-पाठ का संचालन कवयित्री डा. रानी श्रीवास्तव ने किया।

डा. खगेंद्र ठाकुर ने प्रेमचंद के साहित्य के बहाने अपनी बातों को विस्तारपूर्वक रखते हुए कहा, "प्रेमचंद का साहित्य जीने की प्रेरणा देता है। परिवर्तन का आह्वान करता है" डा. खगेंद्र ठाकुर ने प्रेमचंद की साहित्य-यात्रा पर कहा, "बनारसीदास चतुर्वेदी ने एक इंटरव्यू में प्रेमचंद से पूछा कि आप अपनी सबसे महत्वपूर्ण कृति का नाम बताएं। इस प्रश्न के उत्तर में प्रेमचंद ने किसी रचना का नाम न बताकर कहा कि "धन से दुश्मनी"

कवि सत्येन्द्र कुमार ने कहा, ‘कि सत्ता प्रपंच करती रहती है। 1992 की त्रासदी हो या 2002 का दंगा, इससे पूरे देश में अंधेरा बढ़ा है। हमको सचेत रहकर लेखन करना है, प्रेमचंद ने यही सिखाया है।

 रंगकर्मी जयप्रकाश ने  कहा, "समस्याएं वैश्विक हैं। इन समस्याओं को गंभीरता से हमें समझने की ज़रूरत है क्योंकि शत्रु एकजुट हैं और हम बिखरे हुए हैं। लेखकों के बीच एका महत्वपूर्ण है।"

इन सबके अलावे प्रेमचंद के जीवन और साहित्य पर अमरनाथ सिंह, वेदप्रकाश तिवारी, मनोज कुमार आदि वक्ताओं ने भी अपने विचार रखे।

कार्यक्रम का दूसरा सत्र कवि-गोष्ठी का था

समकालीन हिंदी कविता में अपनी एक अलग पहचान बनाने वाले कवि राजकिशोर राजन ने अपनी कविताओं के मध्यम से सबको आकृष्ट किया, "हमने अपने समय में / बड़े से बड़ा काम किया / भाषा में क्रांतिकारी बने / भाषा में देशभक्त।"

कवि शहंशाह आलम का कहना था, ‘आज दुनिया में हरेक चीज़ बेची जा रही है बेशर्मी से / एक अच्छा आदमी होने के नाते / बाज़ार में बिक रहे मोहनदास करमचंद गांधी को ख़रीदा / बुरा आदमी होने के नाते उन्होंने नाथूराम गोडसे को।’ 

कवयित्री डा. रानी श्रीवास्तव ने इस अवसर पर अपनी कई कविताओं का पाठ किया, "अंधियारी रात में / शहर के कोने में बैठी / सहमी हुई लड़कियों ने / मांगा है जवाब अपने कुचले वजूद का।"

इस कवि-गोष्ठी की ख़ास बात यह रही कि डा. खगेंद्र ठाकुर ने भी अपनी चुनी हुई कविताओं का पाठ किया, ‘अंगोछे में लिपटा बच्चा है पीठ पर / और माथे पर है लकड़ी का भारी गट्ठर।’ 

अन्य कवियों में थे मधुरेश नारायण , वेदप्रकाश तिवारी, सिध्देश्वर, श्वेता शेखर , लता परासर , वासबी झा  आदि।